1.
बिजली कौँधी
वक्त की डायरी यूँ खुली
दिल के पन्ने लगे खुद ही
फड़फड़ाने- खड़खड़ाने
हाथ कंपकंपाए..!
रहा न बंजर दर्द ऐ एहसास
सूखी आँखों में उतर आए
जैसे बादल काले-काले
शब्द-सहमें-सिकुड़े-सिमटे-भीगे
आज-भी-लिपट-गए तुमसे ही कहीं..!
2.
जिंदगी क्यारियों से
अहसास-याद-बीज-कतरे
पाकर धरती मन से
उर्वरा-नमी जैसे
अंकुर से फूट पड़े ऐसे …!
माली-सांसे इत्र-सी-महकी
पर कोंपल पलके क्यूँ भीगी ..?
3.
कोई ख़्वाइश ऐसे
रोती रही भिगोती
दामन को कही
उम्र भर..!
भरे समुद्र बांहोँ मैं
कोई फिर भी
जल को कहीं तरसती
प्यासी रूह ..!
4.
यूँ तो हूं सूरज मैं
पर क्या है पता तुम्हें
सिर्फ मिलने रात से
जलता हूं दिन भर मैं ..
थक कर टांगता हूं
जैसे ही शाम को खूंटी पर
मिलन की आस में खुद
को कर लेता हूं कंगाल
पर हो जाता हूं मालामाल..!
चन्द्रमा को दे जाता हूं
मैं अपने प्यार की सौगात
अपनी नींद कहीं तो
ख्वाब व तारों की बारात ..!
5.
लड़ाई ऐसी तुमसे मेरी ऐ आसमाँ
रंगहीन बूंदों से करने रंगीन समाँ
बारिश जेबों में मैं भरकर यूँ लाया..!
जिम्मेदारी-उत्तरदायित्व-बोझ सा
धूमिल-धूमिल तो अक्षर-धुँधला
कहीं रह गया भीगे कागज सा..
पढ़ा ही कहां गया..!
हाथ खाली यूँ बस लगा
पर हैं क्यूँ गीली हथेलियां..l
डॉ सुनीता शर्मा विविध विधाओं में लिखती हैं | इनकी कहानियां, कविताएं, हाइकु, संस्मरण, लघु कथा इत्यादि विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं | इनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो हो चुकी हैं - 'मैं गांधारी नहीं' इनका प्रसिद्ध काव्य संग्रह है| मिट्टी की सुगंध व कविता के प्रमुख हस्ताक्षर इनके साझा काव्य संग्रह हैं! "जागृति" कहानी संग्रह की कहानियाँ अनेकानेक प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं| " विश्व हिन्दी अकादमी मुंबई " द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इन्हें "लेखिका स्पेशल अचीवमेंट अवार्ड " दिया गया | हिन्दी महिला समिति द्वारा इनके कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए इन्हें "स्वयंसिद्धा अवार्ड" से सम्मानित किया गया| संपर्क - pravasibharatiyaa@gmail.com

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.