1
मर जाता है
तो हो जाता है –
‘अच्छा’ — आदमी
लोग कहते हैं
भला मानस था
भगवान् को प्यारा था
उठा लिया प्रभु नें
उनकी मर्ज़ी
जब तक नहीं मरा था
लोग बतियाते थे
देते थे गालियाँ
सब की नाक में किया था उसने दम
था बड़ा ही बेशरम
लोग कहते थे
ऐसे बेशर्म को तो मौत भी नहीं आती
भगवान भी घबराते हैं इससे
मर गया है तो कर रहे हैं तारीफें
प्रभु को फुसला रहे हैं
उसे अच्छा आदमी बता रहे हैं
मन ही मन कर रहे हैं प्रार्थना;
हे इश्वर इसे अपने ही पास रखना
और हमें कुछ दिन चैन से जीने देना….
2
हम चाहते हैं
आप कुछ खरीदें
स्पार से, टेस्को या हमारी दुकान से
बस खरीदें
क्या खरीदेंगे
यह तो आपको तय करना होगा
किन्तु खरीदें अवश्य
हम जानते हैं
आपको जिस चीज़ की अवश्यकता है
वो हमारे स्टोर्स में नहीं मिलती
न ही वो खरीदी जा सकती है
खोजी जाती है
और खोजना मुश्किल है
इसलिए आप खरीद लें
कुछ भी
वो भी जो घर में है पहले से
वो सब- जो हम भर भर लाते हैं – थैलों में
जैसे पैकेटों में बंद चिवड़ा या क्रिस्प
जिसे घर में कोई खाता नहीं
फ्रीजर में जमा आइस लौली
जिसे कोई चूसता नहीं
जैसे बाथरूम में जमा
अनगिनत साबुन की बट्टियां
जिनसे कोई नहाता नहीं
फिर भी आप कुछ खरीदें
ताकि हम कुछ बेच सकें
और अपने घर जमा हो रहे
पानी – बिजली के बिल भर सकें!
3
जो बचेंगे
वो ही बचेंगे
और जो नहीं बचेंगे
वो ज़्यादा बचेंगे
उन्ही के चर्चे होंगे
उन्ही की बाते होंगी
तुम बचे रहना
तुमसे बाते करेंगे
उनकी बाते जो होंगे
हमसे ज़्यादा ‘हम’
हमेशा हम ही तो बचते हैं
हमारी ही होती हैं बातें
तब ही तो
हम बचते हैं, बचे हैं और बचेंगे!
नेत्र विशेषज्ञ निखिल कौशिक, एक लेखक, कवि, फिल्म निर्माता हैं.

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