पुराने जमाने में होते थे आर्यपुत्र और आज के नए युग में होते हैं पत्नी पुत्र ..नही समझ आया न …समझाती हूँ पत्नी पुत्र वो जो बिना पत्नी के पूछे जल तक ग्रहण ना करे ..बिना पत्नी की आज्ञा कोई काम ना करे पत्नी के आगे माँ को भी तुच्छ महसूस करा दे .शादी के पहले माँ का पल्लू पकड़े घूमने वाला लड़का शादी होते ही पल्लू बदल ले तो माँ को तुच्छ टाइप फीलींग ही आएगी ..
पिछले दिनों एक विवाह में गयी वहां लड़की के भाई को देखकर यही महसूस हुआ ..उसे बहन की शादी या कामों से कोई लेना देना नहीं था वो तो अपनी डॉली के ही आगे पीछे व्यस्त था …डॉली  ये पहन लू ? डोली ये खा लू ? डाली यहाँ बैठ जाऊ ? डाली में डांस कर लू ? इन हरकतों को देख सारे मेहमान हँस रहे थे ..पर उस डॉली भक्त पर कोई असर नहीं था..

बिना डॉली के वो कुछ करने को तैयार नहीं ..यदि माँ भी कुछ खाने को देती या काम की कहती तो वो किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह डॉली की आँखों में देखता वो हां का इशारा करती तभी काम पूरा होता ..और डॉली उसको बेबी सोना करके सम्भाल भी रही थी …उन्हें देख ऐसा लग रहा था मानो बीबी के साथ शादी नहीं हुई बल्कि बीबी ने उस बाबू को गोद लिया है | माँ की आँखों में बेटा छिनने का दर्द साफ़ पढ़ा जा सकता था ..पाल पोस कर बेटा दान कर दिया था ..लोग कन्या दान करते हैं यहाँ पुत्र दान हो गया था |  
पत्नी के प्रेम में अक्सर कई लड़के पत्नीभक्त बन जाते हैं ..पर हर कोई तुलसीदास की तरह भाग्यवान नहीं जो अपने पति को सही राह दिखाए ..बल्कि आजकल की पत्नियाँ तो ऐसे आज्ञाकारी को किसी जादूगरनी के गुड्डे की तरह उसके अपनों के खिलाफ ही इस्तेमाल कर सबसे दूर कर देती हैं ..और वो पत्नी पुत्र बना भक्ति में लीन हो सबसे भिड़ता चलता है एक छू पर किसी से भी युद्ध को तैयार वो गुड्डा सही गलत और अपने पराये का भेद तक समझने में असमर्थ हो जाता है | 
पत्नी का हर वाक्य उसके लिए ब्रह्मवाक्य होता है ..उसकी पत्नी से अधिक खूबियाँ किसी इन्सान तो क्या देवी देवता में भी नहीं मिल सकती सो सच्चे दिल पत्नी महारानी नमो नमो का जाप करता वो सदा ही प्रसन्न और सुखमय जीवन जी ही लेता है …शायद 

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