Saturday, May 18, 2024
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डॉ. क्षमा पाण्डेय का गीत

दिखी जब चित्रमय झांकी,
रची सुंदर कवित बांकी।

चांद हो या कोई सूरज
महत्ता है प्रकृति की ये।
प्रकाशित हैं परोपकारी,
कर्मरत् हैं सदाचारी।।

फूल खिलते डाल सूखी,
दिखाते मार्ग जो सूफी।
दुखों में भी सुखी रहना,
सिखाते ये सहज रहना ।।

किताबें कह रहीं हमसे मित्रवत् तुम सदा रखना।
हमीं में गीत तो बसता,
कहानी , लेख भी रहता।।

रही जब पास है झांकी ,
मनोहर कवि कवित आंकी।।
डॉ क्षमा पाण्डेय
डॉ क्षमा पाण्डेय
संपर्क - kp4222020@gmail.com
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