Monday, May 20, 2024
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अर्चना चतुर्वेदी की चुटकी – बारात, बाराती और सांस्कृतिक एकता

बारात का मतलब सिर्फ लड़की को विदा करवा कर लाना नहीं है ना ही मामा फूफा का रूठना मनाना है बल्कि हमारे यहाँ की बरातें देश की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक होती हैं | क्या कहा कैसे ? वो हम बताये देते हैं …एक बार बता दिया फिर तो आप हर बारात में खुद ही देख लेंगे |
ये एकता सिर्फ दूल्हे,घोड़ी या सजी संवरी बारात तक ही सीमित नहीं ना ही सर्दी में बिना स्वेटर शाल वाली महिलाओं तक है | असल चींजे तो इन सबसे अलग है जैसे हमारे यहाँ हर बारात में दो चार ऐसे बराती होते हैं जो बारात में सिर्फ अपनी नृत्यकला का प्रदर्शन करने ही आते हैं | ये लोग नृत्यकला में इतने पारंगत होते हैं कि भजन हो या ब्लैक एंड बाईट फिल्म का स्लो गीत सब पर एक ही स्टाइल से नाच सकते हैं | ये कुशल नर्तक हर प्रान्त,हर प्रदेश ,हर जाति हर धर्म की बारात में अपने नृत्य की छटा बिखेरते मिल जायेंगे | इनके नृत्य में इतनी विविधता इतनी कलात्मकता देखने को मिलती है कि शकीरा और माइकल जैक्शन भी इनके सामने घुटने टेक दें |

कई तो ऐसे नाचते है मानो करेंट की तार छू गयी हो, तो कोई रोबोट नजर आता है, नाचते हुए शरीर का हर अंग अलग अलग दिशा में नाचता है | कई लोग तो ऐसे नाचते हैं मानो लूटी हुयी पतंग को खींच रहे हों और धागा है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा  | कोई खुद को अमिताभ समझता है तो कोई मिथुन या गोविंदा के नृत्य की धज्जियां उड़ाने का बीड़ा उठा कर आता है | 
हमारे यहाँ की बरातों की सबसे बड़ी आन, बान,शान सबसे जरुरी रिवाज है हमारा नागिन डांस | इसके बिना हमारे देश में कोई भी बारात अधूरी मानी जाती है वैसे भी नागिन हमारे देश की सबसे प्रिय पात्र मानी जाती है, हमारी फ़िल्में ,सीरियल सब इनसे प्रभावित तो हैं ही हमारे घरों में भी इनका प्रभाव है | सास को अपनी बहु में तो बहु को अपनी ननद में नागिन के साक्षात् दर्शन होते हैं |
बहुत ही अद्भुत सीन होता है जब एक आदमी मुहं में रुमाल दबाये सपेरा बनता है और उसके बीन पर कई लोग लोट लोट कर नागिन का किरदार निभाते हुए ऐसे नाचते हैं मानो सच में इच्छाधारी नागिन हों और भेष बदल कर हमारे बीच रह रहे हों | ये  नागिन नृत्य ही तो है जो हमारी रास्ट्रीय एकता को दर्शाता है ये हमारा रास्ट्रीय नृत्य है | मैं तो कहती हूँ कि कोई और देश इसकी नक़ल करे उससे पहले हमारे देश को इसे पेटेंट करा लेना चाहिए या योग दिवस की तरह नागिन डांस दिवस घोषित कर देना चाहिए |
नृत्यकला  के साथ साथ एक और कला है जो इन बारातों की एकता का प्रतीक है | हमारे यहाँ के बाराती नशे की तरंगो में झूमते हुए नृत्य करते हैं, ये बात और है प्रदेश और जेब के हिसाब से इनका जरिया बदल जाता है | भांग और ठर्रा से लेकर महंगी वाली तक, पर असर सबका एक सा ही होता है | इनकी हरकतों और नृत्यकला से आप इनमें कोई भिन्नता नहीं देख पायेंगे सब के सब “झूम बराबर झूम शराबी” वाली हालत में ही होते हैं  | नृत्यकला और टुन्नकला के अलावा बहुत से गाने तक ऐसे हैं जो आपको हर बारात में सुनने को मिल जायेंगे जैसे “आज मेरे यार की शादी है या ले जायेंगे ले जायेंगे दिल वाले दुल्हनिया टाईप और पंजाबी भांगड़ा या यो यो हनी सिंह जैसे गाने हर जगह सुने जा सकते हैं पर लड़की के दरवाजे पर  आते ही “बहारो फूल बरसाओ” बजने लगता है |
और एक खास बात होती  जैसे ही लड़की का घर यानी विवाह स्थल पास आएगा सारे बाराती फैल जायंगे, भले ही पसीने से लथपथ हो जाएँ पर गिर गिर नाचेंगे,जो लोग अभी तक तमीज से चल रहे थे, वे भी अचानक से ऐसे नाचने लगेंगे मानो इन पर देवी आ गयी हो ,बेचारे पीछे वाले सोचंगे ये आगे निकले,बच्चे भूख और नींद में रो रहे हैं,महिलाये परेशान हैं हाई हील पहने पहने थक गयी हैं पर मजाल है कोई इन्हें यूँ तांडव सा करने से  रोक पाए | कोई हिम्मत भी करे तो बत्तीसी बाहर आने के डर से आगे नहीं बढ़ पाता | आखिर थक हार कर बाकी बाराती साइड से जगह बनाकर अन्दर खिसक लेते हैं और सारे नचैया बाहर तब तक नाचते हैं जब तक कि बाजे वाला खाने के लिए ना चल दे |
अर्चना चतुर्वेदी
अर्चना चतुर्वेदी
संपर्क - archana.chaturvedi4@gmail.com
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