हम गुटबाजी से दूर रहते हैं… मठ बनाने वाले हमें सख्त नापसंद हैं | हम ग्रुप बनाते हैं, हम लोग एक दूसरे को चढ़ाते हैं, किसी छठे को हम टिकने भी नहीं देते पर हम गुटबाजी से दूर रहते हैं|
हम आपस में बातें करते हैं, अपनी तारीफों के पुल बांधते हैं, कोई और अपनी तारीफ़ सुनना चाहे तो हम मिलकर जलील करने की हद तक उसे नीचा दिखा डालते हैं | पर गुटबाजी के हम सख्त विरोधी हैं|
हम सब एक दूसरे की तारीफों के कितने भी पुल बाँध लें, एक दूसरे को कितना भी प्रमोट कर लें, एक दूसरे के खिलाफ एक शब्द भी ना सुनें| पर हमें गुटबाजी पसंद नहीं..|
मठाधीशी की हम निंदा करते हैं, मठ के हम सख्त विरोधी हैं, मठाधीशों को हम कतई तौर पर नापसंद करते हैं… और गुटबाजी हमें पसंद नहीं, हम ग्रुप बनाते हैं, हम बिना कंठी के चेले बनाते हैं..
कोई हमारा विरोध करना चाहे तो हम सब मिलकर उसे खदेड़ते हैं मानो एक मोहल्ले के कुत्ते दूसरे मोहल्ले के कुत्ते को खदेड़ रहे हों | पर हम गुटबाजी को पाप समझते हैं |
फेसबुक पर हम एक दूसरे के फोटो चेप बधाइयाँ कित्ती भी बटोर ले, भले ही अपनी किताब का विमोचन आपस में ही कर लें और एक दूसरे को मंच पर सजाने का कित्ता भी चांस दिला लें पर गुटबाजी के कतई तौर पर विरोधी हैं |
हम अपने नालायक साथी को सम्मान दिलाने के लिए भले ही किसी का अपमान करा दें बड़े से बड़ा खेल खेल डालें पर हम गुटबाजी पसंद नहीं करते |
हम किसी पत्रिका के कॉलम का इस्तेमाल अपने प्रतिद्वंद्वियों की टांग खींचने और संगी साथियों की तारीफ़ करने में भले ही कर लें | पर हम गुटबाजी नहीं करते|
हम अपनी कलम की ताकत इस्तेमाल भले ही दूसरों की कमजोरियां दिखाने में करें, हम भले ही अपने सरोकार से भटक दूसरों को सरोकार का रास्ता दिखाएँ पर हम गुटबाजी नहीं करते, हम मिलकर किसी की बेइज्जती कर लें, अपमान जनक टिप्पणियाँ कर लें पर हम अभद्र भाषा का प्रयोग वर्जनीय समझते हैं क्योंकि हम हैं सम्माननीय लेखक और याद रहे हम गुटबाजी नहीं करते |