डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – प्यास बैठी है पास पानी के
रंग सारे उदास पानी के,
बस रहें आस-पास पानी के।
ओक भी है उदास औ' लब भी,
प्यास बैठी है पास पानी के।
आँख छलकी हुयी हैं औ दिल भी,
हमसे रिश्ते हैं खास पानी के।
तेरा साया सदा निकलता है,
यूँ पहन कर लिबास पानी के।
आज पानी की है कमी...
गज़ाला तबस्सुम की ग़ज़ल – बच्चों पे कुछ तो रहम किया कर ऐ मुफ़लिसी
पुख़्ता हो हर सड़क भी, कुशादा भी चाहिए
सर पे हमें दरख़्तों का साया भी चाहिए
क्या क्या तुझे अता करूं ऐ दिल मुझे बता
है चांद की तलब भी,सवेरा भी चाहिए
इस दिल की ख़्वाहिशों की कोई इंतहा नहीं
जब मिल गया है साथ,सहारा भी चाहिए
बच्चों पे कुछ...
डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र का गीत – कभी सोचा नहीं था
कभी सोचा नहीं था घर ये मेरा घर नहीं होगा
बनाने में जिसे दिन रात सारी जिंदगी गुजरी।
हमारी बागवानी देखकर दुनिया तरसती थी
तृषा की सीपियों में स्वाति की बूंदें बरसती थी
कमल की चाह में हमने गुलाबों को सँजोया यों
कि कांटे चुभ रहे थे जब उंगलियां...
अशोक व्यास की दो ग़ज़लें
1
किसी सपने को जगाया जाये
इस तरह ख़ुद को बचाया जाये
नदी ये ज़िंदगी की रुक रही है
गति का गीत फिर गाया जाये
बेवजह लग रही हर बात अगर
चलो बिन बात मुसकुराया जाये
कहाँ हूँ, क्यूँ हूँ, ये ख़बर पाने
किससे पूछें, कहाँ जाया जाये
सैलाब थम तो गया आंसू...
डॉ. रूबी भूषण की ग़ज़ल
बात अब मुख्तसर सी है शायद
उनकी बदली नज़र सी है शायद
मेरा साया नज़र नही आता
रौशनी बे ख़बर सी है शायद
आप कहते नही हैं अब आमीन
हर दुआ बे असर सी है शायद
जलती बुझती है याद आंखों में
जगनुओं के सफ़र सी है शायद
कब मुलाक़ात आप से...
निवेदिताश्री के तीन गीत
1 - आँख का पानी
ताल तलैया सूख गए हैं
मरा आँख का पानी
दुनियादारी कहाँ बची है
जनता बहरी-कानी
चिड़िया छोड़ घोसले भागी
भागी बरखा रानी
प्यासी मछली तड़प रही है
गढ़ती नई कहानी
अपना दुखड़ा किसे सुनाये
कुढ़ती बिटिया रानी
जरा जरा सी बातों पर हैं
तिल का ताड़ बनाते
मौका पाते चोंच पिजाते
और बाज...