नवपल्लवों का आगमन सूखे पत्तों का टूटना
फूलों का खिलना, पेड़ों पर कोयल का कूकना
दे रहा संदेश बसंत ऋतु आई है धरा पर छाई है
आनंद दे रहा उसका लहलहाती फसलों पर झूमना।
जूही, चंपा, चमेली, केतकी, रातरानी इतराने लगे
तितली और भँवरों को वो अपने पास बुलाने लगे
टेसू के फूल भी बिखेर रहे हैं अपनी अनोखी छटा
आम के पेड़ महकती मंजरियो संग मुस्काने लगे ।
बसंत ऋतु अपने सौंदर्य को चारों ओर है निहारती
कवियों की लेखनी भी उतार रही है उसकी आरती
फाग के गीत – संगीत उत्सव बन चारों ओर है छाए
प्रकृति प्रसन्न होकर बसंत ऋतु को और भी सँवारती।