दिल का दर्द छिपाना
कितना मुश्किल  होता है
टूट टूटकर  फिर से हँसना
कितना मुश्किल होता है
दर्द और गम सबके
अपने अपने होते हैं
फिर भी ऊपर  से सब
हंसते हंसते दिखते हैं
दर्द के इन भावों को छिपाना
कितना मुश्किल होता है

हर एक दर्द ने हमको
यह पाठ पढ़ाया है यारों
गिरकर चढ़ना, चढ़कर गिरना
कितना मुश्किल होता है

अपनों में अपनेपन से रहना
कितना सुकून दे जाता है
पर अपनों में गैरों सा रहना
कितना मुश्किल होता है
किसी के साथ दूर तक
जाकर तो देखो यारों
लौटकर अकेले आना
कितना मुश्किल होता है

जीवन की इस लंबी यात्रा में
जब  छूट  जाए साथी का हाथ
अपने को अकेले  रखना
कितना मुश्किल  होता है

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.