1 – औरत
मैं पगडंडियो सी पड़ी रहती हूँ , सीधी सड़क सा गुज़र जाता है वो
साँसे ना-मालूम कुछ बच जाती हैं वर्ना हर बार मार जाता है वो/
मैं उसकी दुश्मन नहीं पर दोस्त भी कभी बन पाता नहीं है वो
जब कभी सुबह बन कर उठती हूँ/शाम बन कर ढल जाता है वो
मैं समझ पाती नहीं उसे ,ऐसा कह मुझे ना कभी समझ पाता है वो
दिन के आईने में जिंदगी ढूढती हूँ, रात के साए सा ढल जाता है वो/
ग़र मेरी पथरीली राहों पर कभी एक पक्की सड़क बनायेगा वो
ये सोचकर मेरी नम साँसों में आस के दिए की तरह टिमटिमाता है वो
2 – व्यथा
सोचा था अब कुछ भी नहीं लिखूंगा,
किन्तु उनकी व्यथा को कैसे सहूंगा?
सर पर रखे पाद वे बस भागे जाते हैं
कहता वो बेहाल, अब मैं नहीं रुकूँगा 
सब गाड़ी घोड़ा रहना खाना लेकर आते हैं
निज़ाम कहे मैं तेरी पीड़ा दूर करूंगा
गर उसके पड़े फफोले, बच्चे रोते जाते हैं
कहता वो घर पहुंचकर ही सांस भरूंगा
भूखे प्यासे वे अपने घरों को चले जाते हैं
कहे, मरना है तो अपने घर पर ही मरूंगा
गर घर से पहले वे रस्ते में ही मारे जाते हैं
कह, इनकी पीड़ा से कैसे आँख चुराउंगा
उनको हम न कोई राहत पहुंचा पाते हैं
महज घोषणाओं से कैसे जीवन दे पाऊंगा
आसां ये कहना कि निज़ाम फेल हुए जाते हैं
गर हाथ खड़ी नाकामी कि उनको न रख पाऊंगा
तू कर घोषणाएं ख़ूब कह उनकी पीड़ा हरने जाऊंगा
गर वर्तमान का रोता  चित्र कैसे विस्मृत कर पाऊंगा
गर देर हुई बहुत रोते-रोते उनके आंसु सूखे जाते हैं
ये सूखे आंसू ही अब वक़्त के पन्ने पर लिख पाऊंगा
3 – मां
माँ…गांव में कही एकांत में बैठकर
आज भी वैसे ही करती है चिन्ता
जैसे करती थी बचपन में
खाने/पीने और रहने की
और करती है दुआ हमेशा अच्छे से रहने की
ईश्वर भी शायद कही एकांत में बैठकर
अपने बच्चो की चिन्ता करता होगा ऐसे ही..
जो नहीं सामने उस  ईश्वर को मानते हैं
हम सब
किंतु  जो सामने है उसे मानते हैं कितने ?
पर माँ तो माँ है वो फिर भी करती रहेगी चिन्ता
हमेशा अपने बच्चो की…
ठीक ईश्वर की तरह …
जोश
न सोचा कभी
न कभी सोच सकेंगे
ऐसा ये भयावह मंज़र है
हवाओं में छुपा जैसे कोई खंजर है
दहशत में हर गली, हर आदमी
सन्नाटे में डूबा हर गांव औ शहर है
चल कुछ देर और
अपने घरों में रहते हैं
इस नश्तर से मौसम को
गुजरने को कहते हैं
फिर निकलेंगे हम उसी जोश से
जिसे लोग हमारी आदत कहते हैं
टीवी मीडिया में कई वरिष्ठ पदों पर रहे. अपनी रंग यात्रा में पुरे भारत के साथ यूरोप (जर्मनी) के कई शहरों में शोज किये, ट्रेवल शो बनाये और डरना जरूरी है व पहेली फिल्म के साथ कई लघु फ़िल्मों और धारावाहिकों मे काम किया. संस्कृति मंत्रालय ने 2018 में लोक रंगकर्म पर सीनियर फेलोशिप अवार्ड से सम्मनित. संपर्क - 9999468641

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