सुनने में तो यह भी आ रहा है कि बॉरिस जॉन्सन अपनी पार्टी में बढ़ते विद्रोह को देखते हुए मध्यावधि चुनाव करवाने की घोषणा तक कर सकते हैं। हालांकि मध्यावधि चुनावों से टोरी पार्टी को नुक्सान होने की संभावना है। कोविद-19 के कारण आर्थिक हालात बदतर हैं। गैस और बिजली की दरें आसमान को छू रही हैं। बाज़ार में हर चीज़ की कीमत बढ़ी हुई है। पार्टीगेट के कारण प्रधानमंत्री की छवि धूमिल हो चुकी है। ऐसे में देखना होगा कि प्रधानमंत्री इस्तीफ़ा देते हैं या कि फिर चुनावों की घोषणा करते हैं।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉन्सन इस समय भारत के दौरे पर हैं। यह शंका जताई जा रही थी कि बॉरिस जॉन्सन युक्रेन के मामले में भारत को कटघरे में खड़ा कर सकते हैं। मगर वहां एक साक्षात्कार में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भारत की हर मामले में तारीफ़ की।
जब बॉरिस जान्सन से पूछा गया कि ब्रिटेन की संसद में भारत में मानवाधिकारों पर सवाल उठाए गये हैं तो उनका जवाब था, “हम मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के सवालों पर बेशक बातचीत करते हैं। हमारी मित्रता का लाभ यह है कि हम ये बातें आपस में कर सकते हैं, और हम इस मुद्दे पर एक दोस्ताना और निजी लहजे में करते हैं।”
वे यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि, “यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत में सभी समुदायों के लिये संवैधानिक सुरक्षा मौजूद है। भारत दुनिया भर के कई देशों में चलने वाले निरंकुशता के शासन से बहुत अलग है। भारत एक महान लोकतंत्र है। लगभग 1.35 अरब लोग इस लोकतंत्र में रहते हैं और हमें इस बात का जश्न मनाना चाहिये।”
जब उनसे पूछा गया कि ब्रिटेन में सांसदों सहित कुछ लोगों ने भारत के लोकतंत्र की गुणवत्ता पर प्रश्न उठाए हैं… इसके बारे में उनकी अपनी राय क्या है। तो बॉरिस जॉन्सन ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि किसी भी एक देश को दूसरे देश पर टिप्पणी करनी चाहिये। भारत एक विलक्षण देश है जिसकी आबादी 1.3 अरब है और जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। कोई यह बात नहीं कह सकता कि भारत एक लोकतंत्रीय देश नहीं है… यह एक असाधारण देश है। भारत का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण किरदार है। उस क्षेत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षक के रूप में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण है। यह भी एक कारण है कि अपनी दोस्ती और साझेदारी को विकसित करना चाहते हैं।”
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थ नीति का जिक्र करते हुए बॉरिस जॉन्सन ने कहा कि इससे हम परेशान नहीं है… भारत ने कई बार सख्त संदेश दिए हैं… लेकिन मैं पहले भी कह चुका हूं और एक बार फिर कहता हूं कि यूक्रेन में युद्ध छेड़कर व्लादिमीर पुतिन ने एक बहुत बड़ी गलती की है। यह मुद्दा लंबे समय तक रहेगा। बॉरिस जॉन्सन ने कहा कि जब तानाशाह दुनिया में अस्थिरता फैलाने वाली हरकतें करते हैं तो आपको पहले से कहीं ज्यादा एक दूसरे के सहयोग, दोस्ती और मदद की जरूरत होती है। इसीलिए हमने प्रधानमंत्री मोदी को जी-7 के बैठक में आमंत्रित किया है। 2030 को ध्यान में रखकर तैयार रोड-मैप में भारत की भूमिका अहम रहने वाली है। इसे लेकर पिछले कुछ हफ्तों और महीनों में बातचीत में काफी प्रगति हुई है।
भारत के विपक्षी दलों, पाकिस्तान और चीन को बॉरिस जॉन्सन के बयानों से ख़ासी निराशा महसूस हुई है। भारत के विपक्षी दलों ने कहा है कि हमें किसी विदेशी नेता से भारत में होने वाली गतिविधियों के बारे में कोई प्रमाणपत्र नहीं चाहिये। मगर यह भी सच है कि यदि कोई विदेशी पत्रिका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की या भारतीय जनता पार्टी की आलोचना कर देती है तो यही विपक्षी दल नरेन्द्र मोदी सरकार पर चढ़ाई कर बैठते हैं।
सवाल तो ब्रिटेन में भी उठाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री बॉरिस जॉन्सन के लिये अपनी सत्ता बचाए रखना आसान नहीं होगा। जब कोविद-19 से पूरा ब्रिटेन जूझ रहा था, और प्रधानमंत्री 10 डाउनिंग स्ट्रीट में दावतें उड़ा रहे थे। वे आम आदमी से कह रहे थे कि सुरक्षित दूरी बना कर रखें… स्कूल कॉलेज बंद कर दिये गये थे। कामकाजी लोग घरों से काम कर रहे थे। होटल, सिनेमा, थियेटर सब बंद कर दिये गये थे। रेस्टॉरेंट वीरान हो गये थे। होटलों के कमरे ख़ाली थे। और बॉरिस जॉन्सन ने चेहरे पर मास्क लगाने की जगह 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर एक बड़ा सा मास्क लगा दिया ताकि कोई भीतर न झांक सके।
उस पर तुर्रा यह कि बॉरिस जॉन्सन ने हर रोज़ इस विषय में एक नया झूठ बोला। मगर पुलिस ने अंततः उन पर नियम तोड़ने के लिये 50 पाउण्ड का फ़ाइन लगा दिया। ढिठाई से बॉरिस ने यह दंड जमा करवा दिया और सोचा कि अब मामला ख़त्म। मगर राजनीतिक मामले इतनी आसानी से ख़त्म नहीं होते।
टोरी पार्टी के नेता स्टीव बेकर ने कहा है कि प्रधानमंत्री बॉरिस जॉन्सन को बहुत पहले त्यागपत्र दे देना चाहिये था। बॉरिस की पार्टियों को अब वाटरगेट की तर्ज़ पर ‘पार्टी-गेट’ कहा जा रहा है। विपक्षी दल लेबर पार्टी के साथ-साथ अब तो टोरी सांसद भी शायद बॉरिस जॉन्सन के नाटकों से परेशान हो चुके हैं। अब ऐसा लगने लगा है कि बॉरिस जॉन्सन के लिये अपनी गद्दी को बचाए रखना बहुत आसान नहीं होगा।
ऐसे हालात में ज़ाहिर है कि बॉरिस जॉन्सन यूक्रेन युद्ध के बारे में चर्चा करेंगे या फिर भारत यात्रा का कार्यक्रम बना लेंगे… मगर अंततः स्थिति का सामना तो उन्हें ही करना है।
उधर बॉरिस जॉन्सन के दो सिपहसालार गृहसचिव प्रीती पटेल और ऋषि सुनक के सितारे भी ठीक से काम नहीं कर रहे। ऋषि सुनक की पत्नी का नाम है अक्षता मूर्ति। वे इंफ़ोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की पुत्री हैं। वे अचानक ख़बरों में तब आईं जब रूस ने युक्रेन पर हमला किया और ब्रिटेन ने तमाम रूसी कंपनियों पर अचानक बैन लगा दिया।
ब्रिटेन में आवाज़ें उठने लगीं कि इंफ़ोसिस का व्यापार रूस में भी चलता है और अक्षता की उस व्यापार में भागेदारी है। यानी कि अक्षता रूस से लाभ कमा रही है। वहीं एक बात और सामने आई कि अक्षता ने टेक्स बचाने के चक्कर में अपने आपको भारतीय घोषित किया हुआ है यानि कि ब्रिटेन में ‘नॉन-डॉमिसाइल’ स्टेटस रखा है। वैसे ब्रिटेन में यह कोई ग़ैर-कानूनी स्थिति नहीं है। बहुत से भारतीय, पाकिस्तानी एवं बांग्लादेशी व्यापारियों ने ऐसा कर रखा है और कानूनी तौर पर टैक्स बचा रहे हैं। मगर अक्षता के पति ब्रिटेन के वित्त मंत्री हैं। और कहा जाता है कि सीज़र की पत्नी को ईमानदार दिखाई भी देना चाहिये।
वैसे पार्टीगेट में ऋषि सुनक पर भी पचास पाउण्ड का दंड लगाया गया है। ऋषि ने तो त्यागपत्र की पेशकश भी की थी मगर प्रधानमंत्री ने उसे स्वीकार करने से इन्कार कर दिया।
इस सब झमेले के बाद अक्षता ने ट्वीट करते हुए कहा है कि वह अब अपने टैक्स का भुगतान ब्रिटेन में ही किया करेगी। वह ब्रिटेन में रहती है और इस देश से प्यार करती है। मगर मेरे इस फ़ैसले से यह सच्चाई नहीं बदलेगी कि भारत मेरे जन्म, नागरिकता, माता-पिता का घर और मूल-निवास का देश बना रहेगा।
भारतीय मूल की ही प्रीति पटेल जो कि ब्रिटेन की गृह मंत्री हैं आजकल एक अलग ही किस्म के विवाद में फंसी हैं। उन्होंने घोषणा की है कि अब जो शरणार्थी ब्रिटेन आएंगे उन्हें छटनी के बाद रवांडा में रहने के लिये भेज दिया जाएगा। याद रहे कि रवांडा एक अफ़्रीकी देश है जहां जीवन बहुत सामान्य नहीं होता है। प्रीति पटेल का मानना है कि इस निर्णय के बाद से जो शरणार्थी ग़ैर कानूनी ढंग से ब्रिटेन में अपना जीवन स्तर बेहतर करने के लिये दाख़िल हो जाते हैं, उन पर लगाम लगेगी। मगर विपक्ष उनके इस निर्णय पर उनकी कड़ी आलोचना कर रहा है।
सुनने में तो यह भी आ रहा है कि बॉरिस जॉन्सन अपनी पार्टी में बढ़ते विद्रोह को देखते हुए मध्यावधि चुनाव करवाने की घोषणा तक कर सकते हैं। हालांकि मध्यावधि चुनावों से टोरी पार्टी को नुक्सान होने की संभावना है। कोविद-19 के कारण आर्थिक हालात बदतर हैं। गैस और बिजली की दरें आसमान को छू रही हैं। बाज़ार में हर चीज़ की कीमत बढ़ी हुई है। पार्टीगेट के कारण प्रधानमंत्री की छवि धूमिल हो चुकी है। ऐसे में देखना होगा कि प्रधानमंत्री इस्तीफ़ा देते हैं या कि फिर चुनावों की घोषणा करते हैं।
आज का संपादकीय भले ही पूरी तरह पी एम बॉरिस पर केंद्रित है, लेकिन फिर भी उनकी चर्चा के साथ जिस तरह उनके भारत दौरे के दौरान दिए गए वक्तव्यों की आड़ में जिस तरह यूक्रेन मुद्दे और विश्व के कुछ समूहों सहित भारतीय राजनीति के विपक्ष को जिस तरह समेटा गया है, उसका प्रभाव स्पष्ट नजर आता है।
बोरिस के विरोध में खड़े लोग और आने वाले चुनाव में बॉरिस की स्थिति पर आकलन करने का प्रयास अच्छा हुआ है। वर्तमान राजनीतिक घटनक्रम पर फ़ोकस किया गया सम्पादकीय सहज ही बढ़िया बना है तेजेन्द्र सर।
ब्रिट्रेन की हालत जानी आपके संपादकीय से, ये भी सच कहा कि ब्रिटिश पीएम की मोदी और देश पर तल्ख टिप्पणी न करने से विपक्ष अपने को निरपेक्ष दिखा रहा है लेकिन अगर की होती तो आसमान सर पर उठा लेता, शायद यही दोहरा रवैया एक बड़ा कारण है कि विपक्ष , सत्ता कुर्सी नही हासिल कर पा रहा
पुरातन काल से एक कहावत जो आज भी जस की तस सटीक और साकार है। ऊँट किस करवट बैठेगा !
लगभग चार वर्ष पूर्व एक अमरीकी राष्ट्रपति भी चुनाव से पूर्व भारत भ्रमण पर आए थे विशव गुरु से गुर सीखने । वर्तमान में स्थिति ये है कि विशव गुरु पदस्थ का कल क्या होगा किसको पता !
कोरोना, यूक्रेन युद्ध और पेट्रोल उत्पादों ने पूरे विशव किअर्थिक स्थिति डाँवाडोल कर दी है । अब तो राम ही जान बचाये, बेड़ा पार लगाय !
जब तानाशाह दुनिया में अस्थिरता फैलाते हैं तो आपको पहले से कहीं ज़्यादा सहयोग और दोस्ती की जरूरत होती है ,आज के वैश्विक परिदृश्य में यह बात सटीक है।
सम्पादकीय में मानव अधिकार, लोकतांत्रिक मूल्य ,संवैधानिक सुरक्षा ,भारत की तटस्थ विचारधारा पर लिखते हुए ऐसा महसूस हो रहा है जैसे लिखे के साथ साथ कह कर सुनाया जा रहा है ।
अक्षता मूर्ति और ब्रिटेन की अंदरूनी व्यवस्था में टैक्स भुगतान की रीति नीति चौकाने वाला तथ्य है (हमारे लिए) शुक्रिया इस विस्तार हेतु
Dr Prabha mishra
Thank you Tejendra ji for familiarizing us with the political situation of Britain.
We stand better informed now with it.
Let us see which way the wind blows vis a vis the future of B Johnson n England.
Regards
Deepak Sharma
Deepak ji, Purvai has a pledge to introduce Hindi readers with truly international matters. Your reaction gives us a pat on the back that we have been able to deliver our promise.
सर! सत्ता में जो रहता है, थोड़ी भी चूक होने पर उसकी आलोचना तो होती ही है। …..वैसे मुझे लगता है कि मध्यावधि चुनाव होगा और वर्तमान प्रधानमंत्री पुनः सत्तासीन होंगे।
सर! सत्ता में जो रहता है, थोड़ी भी चूक होने पर उसकी आलोचना तो होती ही है। …..वैसे मुझे लगता है कि मध्यावधि चुनाव होगा और वर्तमान प्रधानमंत्री पुनः सत्तासीन होंगे।
तथ्यों पर आधारित, सुविचारित संपादकीय के लिए आभार, ब्रिटेन में मध्यावधि चुनाव हो या न हो हमें फर्क़ नहीं पड़ता, हाँ भारत या मोदी जी के तारीफ़ से फर्क़ पड़ता है, हमारा विपक्ष बेपेंदी का लोटा है, उसे मोदी से दिक्कत है, भारत के विकसित कद से दिक्कत है, उन्हें तो देश की छवि से भी कोई साबका नहीं, उन्हें सत्ता सुख और भारत को लूट कर खाने से वास्ता है, ऐसे में कुछ कहना व्यर्थ है
आपके सारगर्भित सम्पादकीय ने वैश्विक पटल की झाँकी प्रस्तुत करते हुए ब्रिटेन की राजनीति से हम पाठकों का सुष्ठुरूपेण परिचय कराया है। हृदय से साधुवाद देती हूँ। हर महत्त्वपूर्ण बिन्दु पर आपकी साफ़ सुथरी विचारधारा बिना किसी लाग लपेट के सामने है। कोरोना काल में जनता की चिन्ता किये बिना 10 डाउनिंग स्ट्रीट में मस्त हो जाने वाला प्रधानमंत्री दोबारा चुनाव जीत पाएगा, मुझे सन्देह है।
आपके संदेशयुक्त संपादकीय बहुत चित्रित होते हैं।शब्दों के साथ यात्रा कर सभी सामयिक परिस्थितियों की जानकारी प्राप्त होती हैं।मुझे राजनीति में बहुत रुचि नहीं है किंतु आपके संपादकीय मस्तिष्क के पटल पर बहुत कुछ छोड़ जाते हैं ।
साधुवाद तेजेन्द्र जी।
आज का संपादकीय भले ही पूरी तरह पी एम बॉरिस पर केंद्रित है, लेकिन फिर भी उनकी चर्चा के साथ जिस तरह उनके भारत दौरे के दौरान दिए गए वक्तव्यों की आड़ में जिस तरह यूक्रेन मुद्दे और विश्व के कुछ समूहों सहित भारतीय राजनीति के विपक्ष को जिस तरह समेटा गया है, उसका प्रभाव स्पष्ट नजर आता है।
बोरिस के विरोध में खड़े लोग और आने वाले चुनाव में बॉरिस की स्थिति पर आकलन करने का प्रयास अच्छा हुआ है। वर्तमान राजनीतिक घटनक्रम पर फ़ोकस किया गया सम्पादकीय सहज ही बढ़िया बना है तेजेन्द्र सर।
विरेन्द्र भाई आपकी टिप्पणी से साफ़ ज़ाहिर होता है कि आपने संपादकीय के मर्म को पकड़ा है। धन्यवाद।
ब्रिट्रेन की हालत जानी आपके संपादकीय से, ये भी सच कहा कि ब्रिटिश पीएम की मोदी और देश पर तल्ख टिप्पणी न करने से विपक्ष अपने को निरपेक्ष दिखा रहा है लेकिन अगर की होती तो आसमान सर पर उठा लेता, शायद यही दोहरा रवैया एक बड़ा कारण है कि विपक्ष , सत्ता कुर्सी नही हासिल कर पा रहा
आलोक भाई, सार्थक टिप्पणी के लिए धन्यवाद।
पुरातन काल से एक कहावत जो आज भी जस की तस सटीक और साकार है। ऊँट किस करवट बैठेगा !
लगभग चार वर्ष पूर्व एक अमरीकी राष्ट्रपति भी चुनाव से पूर्व भारत भ्रमण पर आए थे विशव गुरु से गुर सीखने । वर्तमान में स्थिति ये है कि विशव गुरु पदस्थ का कल क्या होगा किसको पता !
कोरोना, यूक्रेन युद्ध और पेट्रोल उत्पादों ने पूरे विशव किअर्थिक स्थिति डाँवाडोल कर दी है । अब तो राम ही जान बचाये, बेड़ा पार लगाय !
बेहतरीन अभिव्यक्ति
धन्यवाद भावना
जब तानाशाह दुनिया में अस्थिरता फैलाते हैं तो आपको पहले से कहीं ज़्यादा सहयोग और दोस्ती की जरूरत होती है ,आज के वैश्विक परिदृश्य में यह बात सटीक है।
सम्पादकीय में मानव अधिकार, लोकतांत्रिक मूल्य ,संवैधानिक सुरक्षा ,भारत की तटस्थ विचारधारा पर लिखते हुए ऐसा महसूस हो रहा है जैसे लिखे के साथ साथ कह कर सुनाया जा रहा है ।
अक्षता मूर्ति और ब्रिटेन की अंदरूनी व्यवस्था में टैक्स भुगतान की रीति नीति चौकाने वाला तथ्य है (हमारे लिए) शुक्रिया इस विस्तार हेतु
Dr Prabha mishra
प्रभा जी आपने संपादकीय को न केवल ध्यान से पढ़ा, बल्कि एक एक बिन्दु को सही पकड़ा भी है। इस ख़ूबसूरत टिप्पणी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया
Thank you Tejendra ji for familiarizing us with the political situation of Britain.
We stand better informed now with it.
Let us see which way the wind blows vis a vis the future of B Johnson n England.
Regards
Deepak Sharma
Deepak ji, Purvai has a pledge to introduce Hindi readers with truly international matters. Your reaction gives us a pat on the back that we have been able to deliver our promise.
सर! सत्ता में जो रहता है, थोड़ी भी चूक होने पर उसकी आलोचना तो होती ही है। …..वैसे मुझे लगता है कि मध्यावधि चुनाव होगा और वर्तमान प्रधानमंत्री पुनः सत्तासीन होंगे।
सार्थक टिप्पणी के लिये धन्यवाद भाई चंद्रशेखर जी
आपके आलेख से ब्रिटेन की वर्तमान राजनैतिक स्थिति की सटीक जानकारी मिली।राजनैतिक मामलों में अधिक रुचि और जानकारी न होने से अधिक कुछ कहने में असमर्थ हूँ।
धन्यवाद उषा जी। आपका समर्थन मिलता रहे।
सर! सत्ता में जो रहता है, थोड़ी भी चूक होने पर उसकी आलोचना तो होती ही है। …..वैसे मुझे लगता है कि मध्यावधि चुनाव होगा और वर्तमान प्रधानमंत्री पुनः सत्तासीन होंगे।
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जब विश्वगुरु , गुरू ना रहकर गुरूघंटाल हो जाऐं तो पूरा परिदृश्य
प्रभावित होता है।
यह भी सोचने का बढ़िया तरीका है
तथ्यों पर आधारित, सुविचारित संपादकीय के लिए आभार, ब्रिटेन में मध्यावधि चुनाव हो या न हो हमें फर्क़ नहीं पड़ता, हाँ भारत या मोदी जी के तारीफ़ से फर्क़ पड़ता है, हमारा विपक्ष बेपेंदी का लोटा है, उसे मोदी से दिक्कत है, भारत के विकसित कद से दिक्कत है, उन्हें तो देश की छवि से भी कोई साबका नहीं, उन्हें सत्ता सुख और भारत को लूट कर खाने से वास्ता है, ऐसे में कुछ कहना व्यर्थ है
शैली जी आप निरंतर हमारे संपादकीय पढ़ती हैं उस पर गहन टिप्पणी करती हैं। धन्यवाद।
ब्रिटेन की राजनीति की सार्थक जानकारी । देखें आगे होता है क्या? आपका संपादकीय बहुत कुछ सिखाता है ।
धन्यवाद पद्मा जी
आपके सारगर्भित सम्पादकीय ने वैश्विक पटल की झाँकी प्रस्तुत करते हुए ब्रिटेन की राजनीति से हम पाठकों का सुष्ठुरूपेण परिचय कराया है। हृदय से साधुवाद देती हूँ। हर महत्त्वपूर्ण बिन्दु पर आपकी साफ़ सुथरी विचारधारा बिना किसी लाग लपेट के सामने है। कोरोना काल में जनता की चिन्ता किये बिना 10 डाउनिंग स्ट्रीट में मस्त हो जाने वाला प्रधानमंत्री दोबारा चुनाव जीत पाएगा, मुझे सन्देह है।
आदरणीय शशि मैम आपको संपादकीय ने प्रभावित किया जान कर अच्छा लगा। आप जैसे वरिष्ठ और ज्ञानी जनों की प्रतिक्रिया हमेशा महत्वपूर्ण होती है।
आपके संदेशयुक्त संपादकीय बहुत चित्रित होते हैं।शब्दों के साथ यात्रा कर सभी सामयिक परिस्थितियों की जानकारी प्राप्त होती हैं।मुझे राजनीति में बहुत रुचि नहीं है किंतु आपके संपादकीय मस्तिष्क के पटल पर बहुत कुछ छोड़ जाते हैं ।
साधुवाद तेजेन्द्र जी।
प्रणव जी इस समर्थन के लिये बहुत बहुत शुक्रिया