होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ. ममता मेहता की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत डॉ. ममता मेहता की ग़ज़ल द्वारा Editor - July 23, 2019 162 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet डॉ. ममता मेहता मन ये बियाबान नहीं है खाली है वीरान नहीं है ***** हल्की फुल्की एक दो बातें भारी कुछ सामान नहीं है ***** आये,बने हैं घर मालिक कोई भी मेहमान नही है ***** बेकल पंछी भटक रहा क्यों राहें तो अनजान नहीं है ***** सूनी बगिया बाट निहारे फूल खिले निगहबान नहीं है ***** भीतर जख्म हरे हरे हैं बाहर पर निशान नहीं है ***** गम किसका क्यों करें खोने को आसमान नहीं है संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं नीलम वर्मा की ग़ज़ल त्रिलोक सिंह ठकुरेला का गीत – मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में डॉ. रश्मि कुलश्रेष्ठ के दो गीत कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.