डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – प्यास बैठी है पास पानी के
रंग सारे उदास पानी के,
ओक भी है उदास औ’ लब भी,
आँख छलकी हुयी हैं औ दिल भी,
तेरा साया सदा निकलता है,
आज पानी की है कमी ज़्यादा,
बस वतन के लिये ही लिखते हैं,
आज पानी का खत़्म है पानी,
RELATED ARTICLES