होमग़ज़ल एवं गीतसपना सक्सेना की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत सपना सक्सेना की ग़ज़ल By सपना सक्सेना August 29, 2021 0 74 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp हर सुबह बदलता है हर शाम बदलता है मौसम की तरह पल पल इंसान बदलता है कैसा यकीं उसका जो खुद को नहीं हासिल कपड़ों की तरह देखो ईमान बदलता है कहता है जिसे अपनी जागीर नहीं तेरी ये वक्त है होकर मेहरबान बदलता है उलझा है दीवाना अपने ही सायों में कभी राह कभी मंजिल नादान बदलता है जो साथ नहीं कोई तो ग़म न करो इसका गिर गिर कर उठना ही पहचान बदलता है Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखबालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’ की तीन लघुकथाएँअगला लेखसंपादकीय – हींग लगे न फिटकरी…! सपना सक्सेनासम्पर्क - sabrang902@gmail.com RELATED ARTICLES ग़ज़ल एवं गीत डॉ रूबी भूषण की दो ग़ज़लें May 18, 2024 ग़ज़ल एवं गीत ज्ञान प्रकाश विवेक की पाँच ग़ज़लें May 11, 2024 ग़ज़ल एवं गीत विशेष प्रस्तुति : दीक्षित दनकौरी की ग़ज़लें May 4, 2024 कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 विनीता परमार की कहानी – घोषा April 12, 2020 मेरे हिसाब से साहित्य, समय लेकर रचे जाने की प्रक्रिया है – वन्दना यादव June 21, 2020 प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो : संजना November 13, 2022 और अधिक लोड करें Latest डॉ. अनिता कपूर की तीन कविताएँ May 18, 2024 दिलीप कुमार का व्यंग्य – हाउ डेयर यू May 18, 2024 डॉ. रूचिरा ढींगरा का लेख – पितृसत्तात्मक रूपों की शिनाख्त करती होमवती देवी की कहानियाँ May 18, 2024 रेखा श्रीवास्तव की दो लघुकथाएँ May 18, 2024 और अधिक लोड करें Latest लड़कियाँ बदली-बदली-सी – मालिनी गौतम March 29, 2018 सफेद परिंदे जैसी कोई शै March 29, 2018 प्राचीन भारत में सौन्दर्य-बोध March 31, 2018 अपनी बात…… April 6, 2018 और अधिक लोड करें