हवा में रकीब ( अग्निशेखर )

हवा में रकीब * बाधित हो रहा था फोन बार बार और हम बात कर रहे थे शिव द्वारा कामदेव दहन की   रह रहकर फोन कटने से झुंझला रही थी वह   कहा मैंने यह हवा में रकीब है जो किसी को दिखाई नहीं देता आप उसे अनंग भी कह सकते हैं   वह हँसी हवा में रकीब की...

बन्दूक

1. बन्दूक(एक) उन्होंने तुम्हें कभी नहीं कहा बन्दूक उठाओ उन्होंने बस रख दिया तुम्हारे हाथों में धर्मग्रंथ० 2. बन्दूक(दो) उन्हें सत्ता पर काब़िज होने के लिए बन्दूक नहीं उठानी होती है वे बड़े चालाक हैं उन्होंने बखूबी जान लिया है तुम्हारी कमजोरी तुम्हारा ईश्वर है इसलिए वे बोतें हैं तुम्हारे भीतर धर्म का बीज ताकि तुम खुद...

अनूठा सत्याग्रह (विनिता परमार )

अनूठा सत्याग्रह _____________ ये औरतें भी जाने क्या होती हैं ? दो चार किलो आटा गूंथ कर आठ दस लोगों की रोटियां बना लेती हैं , जब कभी होती हैं अकेली तो मन बना लेती है अपने लिए नही बनाने का। ढूंढती है कुछ बचा खुचा या काम चला लेती है हल्दीराम...

हमला –  कविता कृष्ण पल्लवी

हमला हो चुका है... बर्बर हमलावरों ने हमला बोल दिया है। आगे बढ़ रहे हैं वे लगातार सृजन, विचारों, कल्‍पनाओं और स्वप्नों को रौंदते हुए तर्क की मृत्यु की घोषणा करते हुए धर्मध्वजा लहराते हुए शिक्षा, कला, संस्कृति और जन संचार के सभी प्रतिष्ठानों पर कब्जा जमाते हुए उन्हें जेलों में बदलते...

लड़कियाँ बदली-बदली-सी – मालिनी गौतम

स्कूल और कॉलेज में बैठीं, हँसतीं, गुनगुनातीं, अपनी दो चोटियों को हवा में झुलातीं, आँखों को गोल-गोल नचाती लड़कियाँ कभी पढ़तीं हैं प्रेमचन्द की “बूढ़ी काकी” तो कभी निराला की “वह तोडती पत्थर” अभी उन्हें पढ़ना है शेक्सपियर की “सॉलिलोकीज़” और वर्डस्वर्थ की “डैफोडिल”, करने हैं दो-दो हाथ पाइथागोरस की प्रमेय से.. वे दौड़ कर जातीं...