ऋषिकेश मिश्र की दो कविताएँ
1 - माण्डवी
एक पवित्र भाव से
भर उठता हूँ
जब कहता हूँ ‘नदी’,
जो
संवाहिका है
पुरुषार्थ चतुष्टय की,
जिसके बिना
असंभव है
सचराचर
जगत् की गतिशीलता।
नदी!
जिसने
मानव सभ्यता
को पंख दिए,
वह
संबल देती रही
उत्पत्ति
स्थिति
और विनाश के
मुहाने तक,
पार करवाती रही
तुम्हारे
कुकर्मों की वैतरणी।
और जब
अपने
मस्तिष्क की खराद पर
संज्ञा रूप
‘माण्डवी’ को चढ़ाता हूँ
तो
अघनाशिनी-
जुवारी के साथ
गलबँहिया करती
तुम्हारी छवि
साकार हो उठती...
रश्मि बजाज की कविताएँ
रश्मि बजाज
1. कहत कबीरन
जब हरसू
बरसती हों
कातिलाना नफ़रतें
तो प्रेम पर
कविता लिखना
रूमानियत नहीं
बगावत है!
ये बगावत
मेरे दौर की
लाज़मी ज़रूरत है!
2.पैरहन
उस रात
मनु,मार्क्स
अल्लाह,राम
के पैरहन उतार
टांग दिये थे
जब हमने
खूंटी पर-
तो जिस्म ही नहीं
महक उठी थीं
हमारी रूहें भी...
3.नही है
ज़िन्दगी की
किताब में
महका करते हैं
वही हरफ़,वही वरक
जो लिखे गए हैं
प्रेम की
स्निग्ध लिपि...
वंदना यादव की कविता – आज मुझे दर्शक दीर्घा से कुछ लोग दिखे
आज मुझे दर्शक दीर्घा से कुछ लोग दिखे।
वे जो चुनाव के बाद हो जाते हैं गायब,
जिन्हें दोबारा देखने को जनता,
साढ़े चार साल करती है इंतजार।
हाँ, आज मुझे दर्शक दीर्घा से
ऐसे ही कुछ लोग दिखे।
वहाँ कुछ चुने हुए लोग थे
जो मुझे जानते थे।
लगभग तीन मूर्ति...
हमला – कविता कृष्ण पल्लवी
हमला हो चुका है...
बर्बर हमलावरों ने हमला बोल दिया है।
आगे बढ़ रहे हैं वे लगातार
सृजन, विचारों, कल्पनाओं और स्वप्नों को रौंदते हुए
तर्क की मृत्यु की घोषणा करते हुए
धर्मध्वजा लहराते हुए
शिक्षा, कला, संस्कृति और जन संचार के
सभी प्रतिष्ठानों पर कब्जा जमाते हुए
उन्हें जेलों में बदलते...
रश्मि बजाज की तीन कविताएँ
1- ढूँढ़ रही हूँ ...
ढूँढ़ रही हूँ
मैं
वह प्यार
रश्मि-रथ पर
हो सवार
आ उतरता है जो
भोरीली स्वप्निल
पलकों पर
मुस्काता है
चन्द्रोन्मेषित
कुमुदिनी
के नयनों में
चमकता है
जुगनू के
जगमग पंखों पे
बरसता है
सावन की
रिमझिम फुहार में
कूकता है
बंसत के
पुलकित पिक-गान में
गूँजता है
ब्रह्ममुहूर्तीय प्रार्थनाओं
के सूर में
धड़कता है
जनमानस के
उर में
और लिये
आंचल में
जिसको
चलती है
मदमस्त बयार
ढूंढ़ रही हूँ मैं
वह...
लीलाधर मंडलोई की कविताएं – साथ न दे कोई तब भी
1
जानता हूं
एक पेड़ जो कुम्हलाए जा रहा है
हरा न होगा
सूखती नदी अब फिर वैसी
भरी न होगी
हवा उतनी भीगी न होगी
कि सुकून की नींद आ सके
न वो सुबह होगी जब पहले की तरह
हुमक कर कह सकें
यह दिन हमारा है
लेकिन हम मरते हुए जीने को यहीं...