अच्छी और सच्ची आइडियोलॉजी के सरदार ‘सरदार उधम’

'आदमी को मारा जा सकता है। उसके विचारों को नहीं और जिस विचार का वक़्त आया हो उसे वक़्त भी नहीं टाल सकता।' आइडियोलॉजी अच्छी और सच्ची होनी चाहिए।' हमें किसी इंसान के खून के प्यासे नहीं हैं हमें किसी आदमी या देश से...

डॉ तबस्सुम जहां की कलम से लघु फिल्म ‘आई एम सेवेन्टीन’ की समीक्षा

पिछले कुछ बरसों में हमारे समाज मे बलात्कार की अनेक वीभत्स व जघन्य घटनाएं हुईं हैं जिन्होंने समाज को भीतर तक झंझोड़ कर रख दिया है। इसी घटनाओं में निर्भया कांड भी शामिल है। हालांकि बाद में दोषी पकड़े गए और एक लंबी कानूनी...

पंजाबी सिनेमा से ‘मोह’ करवाते हैं ये लोग

पंजाबी फिल्मों में अव्वल तो कॉमेडी ही दिखाई जाती है। पूरे देश के फ़िल्म उद्योग में सबसे ज्यादा फिल्मों व कमाई में योगदान देने वाली इंडस्ट्री का भी यही हाल होगा तो उनके लिए लिखने, बोलने वाले कला फ़िल्म समीक्षक कहाँ से आएंगे? कौन...

फिल्म समीक्षा – शहज़ादा अली

आज बात अकबर आजम कादरी यानी कादरी बन्धुओं की फ़िल्म ' शहज़ादा अली '  की जोकि सात साल के लंबे किन्तु सुखद इंतज़ार के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम कर रही है. फिल्म एम एक्स प्लेयर पर उपलब्ध है। जीशान कादरी निधि बिष्ट एवं...

रिश्तों की थोड़ी हल्की ऑक्सीजन ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’

दक्षिण भारत का एक परिवार अपने इंजीनियरिंग पास कर चुके बेटे के लिए दक्षिण भारतीय लड़की ढूंढ रहे हैं।  ऐसे में वह परिवार पहुंच जाता है गलत घर में। जहां लड़की को पसन्द है रजनीकांत तो वहीं लड़के को सिनेमा के नाम पर नींद...

इतिहास का जरूरी पाठ सिखाती ‘सम्राट पृथ्वीराज’

हुकूमतें जज्बातों से नहीं तलवारों से कायम होती हैं। इसी हुकुमत को पाने के लिए गौरी सम्राट पृथ्वीराज से कई बार लड़ा और कहते हैं पृथ्वीराज ने उसे सोलह बार हराने के बावजूद छोड़ दिया। फिर अगली बार क्या हुआ हम सब जानते हैं।...