छोड़ आए हम जो गलियाँ…. – रुचि भल्ला

छोड़ आए हम जो गलियाँ.... - रुचि भल्ला लौतिफ़ा का साथ वैसे तो गुड़गाँव में मुझे डेढ़ साल ही मिला फ़िर वह बंगाल चली गई थी पर वह हमेशा के लिए एक रिश्ता जोड़ गई मुझसे। मेहनत कश.... सत्ताईस साल की लौतिफ़ा से मेरी पहली मुलाकात...

सुरंग – कान्ता रॉय

"माँ, आप तो चित्रा के बारे में जानती है सब कुछ, तो अब किस बात का संशय है?" अभि के कहते ही उसने चित्रा की ओर देखा। "हाँ, बहुत खूबसूरत है। इसमें मुझे मेरी खोई बेटी नजर आती है।" और भावातिरेक में बह गई। "आँटी, मै...

नरेंद्र कौर छाबड़ा की लघुकथा – कुलदीपक

पति पत्नी छुट्टियों में पहाड़ी स्थल पर घूमने निकले।शाम के समय झील के किनारे टहल रहे थे तभी एक वृद्धा हाथ में कंघियों का बंडल लेकर आई और आग्रह करते हुए बोली—“मैडम जी, यह कंघी सिर्फ बीस रुपए की है लेकिन बहुत टिकाऊ है...

समीर उपाध्याय की लघुकथा – घर

घर-काम करने वाली रमाबाई ने अग्रवाल जी से कहा-"बाबूजी,क्या मैं आपसे एक बात पूछ सकती हूं?" अग्रवाल जी ने कहा-"अरे, पूछो ना।" रमाबाई-"बाबूजी,शहर में बेटे का बड़ा बंगला होने के बावजूद गांव के इस पुराने और जर्जरित घर में बार-बार आकर रूकने का आपका मन क्यों...

विनीता शुक्ला की लघुकथाएँ

1 - पलटवार  करोना आने के बाद, किट्टी- पार्टी तो बंद हो गयी, किन्तु उसके सदस्यों की ‘ऑनलाइन मीटिंग’, हर महीने, सुबह 11 बजे से, होने लगी. फोन पर ही, घर- परिवार की बातें, हो जातीं और औरतों वाली ‘गॉसिप’ भी! निवेदिता उन दिनों, देर...

इंदु बारौठ की लघुकथा – नए युग की सावित्री

आज बाएँ हाथ में कुछ ज़्यादा ही दर्द हो रहा है वैसे भी साँस फूलने लगी जाती है आजकल ध्यान ही नहीं दे पाती घर गृहस्थी के कामों के कारण खुद पर… सोचते  सोचते बीना आटा गूँधने लगी। वैसे तो छोटा मोटा दर्द हम...