दाऊजी गुप्त : एक बहुआयामी सिद्धान्तों वाला व्यक्तित्व

फरवरी 2019 में मैं भारत में थी। एक दिन अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति से डॉ.प्रवीन गुप्ता का फ़ोन आया कि आगरा में सम्मान समारोह के उपलक्ष्य में आपको निमंत्रित किया जा रहा है। बाबू गुलाबराय स्मृति संस्था के अध्यक्ष डॉ. श्री भगवान शर्मा जी ने...

भानु अथैया : लेकर आई थीं जो देश का पहला ऑस्कर…!

1982 में अंग्रेज अभिनेता व निर्देशक रिचर्ड एटनबरो के मन में भारत के राष्ट्रपिता और जीते-जी ही महामानव व सन्त कहलाये जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें सब प्यार से 'बापू' कहते थे के जीवन को सिनेमा के रुपहले पर्दे पर सजीव करने का...

पंडित जसराज की स्मृति में : सुमिरन कर ले मेरे मना

समस्त राग-रागिनियाँ भी मानो इस भजन गायन से उस परमब्रह्म में लीन होने को तत्पर हो जाती हैं | पता नहीं गुरु नानक देवजी के शब्दों की महिमा है कि भैरवी राग की या आदरणीय पंडित जसराज जी के गायन की, यह भजन सुनते...

डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव का लेख : भीष्म साहनी का लेखन और ज़िन्दगी के नये फलक

किसी भी रचना या साहित्य का विवेचन एवं विश्लेषण उसके संवेदनात्मक एवं रचनात्मक विधान को ही आधार बना कर किया जाता है। आज का नया साहित्य आज के वर्त्तमान सन्दर्भों को पारदर्शिता के साथ रूपायित करता है। आधुनिक रचनाकारों के बीच अपनी एक ख़ास...

डॉ. अरुणा अजितसरिआ एम बी ई का संस्मरण : नीना पॉल की याद में…!

11 अगस्त 2016 का दिन, मैं उस दिन ऑस्ट्रेलिया जा रही थी, लंदन से रवाना होने से पहले नीना जी से फोन पर बात करने की कोशिश व्यर्थ गई वे अस्पताल में चेतन और अचेतन के बीच की स्थिति में झूल रही थीं,  ऐसे...

‘मित्रों! कैलाश बुधवार की अंत्येष्टि में कोई पुजारी नहीं’

बीते 1 अगस्त, 2020 को चिलटर्न क्रेमेटोरियम, एमेरशैम कथा यूके के अध्यक्ष कैलाश बुधवार की अंत्येष्टि संपन्न हुई। इस मौके पर हमारे सम्पादक तेजेंद्र शर्मा वहाँ मौजूद थे, तो वहाँ से उन्होंने पूरे कार्यक्रम की एक रिपोर्ट भेजी है, जो कि निम्नवत है -...