हिंदी में रोजगार की कोई कमी नहीं है, काम करने वाले अच्छे लोग कम हैं – डॉ. रमा

दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत हंसराज महाविद्यालय की एक अलग ही प्रतिष्ठा है। इस हंसराज महाविद्यालय की वर्तमान प्राचार्या हैं डॉ. रमा। एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं डॉ. रमा ने कड़ी मेहनत और संघर्ष के साथ मीडिया आदि क्षेत्रों में काम करते हुए आज...

महाकवि डॉ. कुंवर बेचैन से डॉ. अल्पना सुहासिनी की विशेष बातचीत

पिछले दिनों कोरोना महामारी ने अज़ीम शायर, कवि और गीतकार डॉ. कुंवर बेचैन को हमसे छीन लिया। आज डॉ. अल्पना सुहासिनी द्वारा लिया गया उनका साक्षात्कार जो कि कुंवर जी का अंतिम साक्षात्कार है, हम पुरवाई के पाठकों से साझा कर रहे हैं -...

मर्दों के विरुद्ध लिखे साहित्य का अम्बार जमा हो रहा है – नासिरा शर्मा

नासिरा शर्मा वर्तमान समय की महत्वपूर्ण कथाकार हैं जिन्होंने कुइयांजान, ज़ीरो रोड, पारिजात, अक्षयवट, काग़ज़ की नाव जैसे उपन्यास हिन्दी जगत को दिये। उनके कहानी संग्रहों में शामिल हैं - पत्थरगली, इब्ने मरियम और ख़ुदा की वापसी। नासिरा जी जब ‘कुइयांजान’ के लिये ‘इंदु...

वरिष्ठ लेखिका चित्रा मुद्गल से युवा लेखक पीयूष द्विवेदी की बातचीत

भारतीय साहित्य में चित्रा मुद्गल के नाम को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। आवां, नाला सोपारा जैसी कृतियाँ आज आपकी पहचान बन चुकी हैं। पिछले ही साल ‘नाला सोपारा’ के लिए साहित्य अकादमी से सम्मानित चित्रा मुद्गल बीते लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र...

सामयिक व्यंग्य स्वयं को राजमार्ग पर चलने का दंभ पाल रहा है – प्रेम जनमेजय

हिंदी साहित्य के क्षेत्र में प्रेम जनमेजय का नाम किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है। व्यंग्य विधा के संवर्द्धन एवं सृजन के क्षेत्र में प्रेम जनमेजय का विशिष्ट स्थान है। व्यंग्य को एक गंभीर कर्म तथा सुशिक्षित मस्तिष्क के प्रयोजन की विधा मानने वाले...

साहित्य में विचारधारा का हावी होना सही नहीं है – उषा किरण खान

हिंदी और मैथिली दोनों भाषाओं में बराबर अधिकार के साथ लिखने वाली वरिष्ठ लेखिका उषा किरण खान के नाम को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उषा जी ने पानी पर लकीर, रतनारे नयन, सिरजनहार, भामती जैसे हिंदी-मैथिली दोनों भाषाओं में अनेक उपन्यासों सहित...