अकेला ही चला था…! : डॉ. फ़ीरोज़

‘वाङ्मय’ पत्रिका के सम्पादक डॉ. एम. फ़ीरोज़ खान एक चर्चित सम्पादक हैं। आप हाशिए के समाज के लिए सदैव तत्पर रहे हैं तथा उन लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए साहित्य के माध्यम से पुरज़ोर कोशिश भी कर रहे हैं। आपने किन्नर विमर्श,...

बाल-साहित्य पर वरिष्ठ साहित्यकार दिविक रमेश से पीयूष द्विवेदी की बातचीत

सवाल - बाल-साहित्य का स्वरूप कैसा होना चाहिए ? दिविक रमेश - मोटेतौर पर बाल-साहित्य को दो रूपों में देखा जाता है- उपयोगी बाल साहित्य और रचनात्मक बाल-साहित्य। उपयोगी बाल-साहित्य में जानकारीपूर्ण अर्थात तथ्यात्मक बाल-साहित्य  आता है जबकि रचनात्मक  बाल-साहित्य में कविता, कहानी, नाटक आदि...

मैं अपनी हिन्दी की कहानियों में  बेवजह अपना अंग्रेजी भाषा ज्ञान नहीं घुसाना चाहूँगा – आशीष त्रिपाठी

इन दिनों साहित्य जगत में युवा और नए लेखक बड़ी तादाद में आ रहे हैं। आशीष त्रिपाठी भी ऐसे ही एक युवा लेखक हैं। आशीष का नाम अभी भले ही साहित्य जगत में बहुत ज्यादा परिचित न हो, लेकिन उनकी पहली ही किताब 'पतरकी'...

रामायण, महाभारत और पुराण मिथक नहीं, हमारे इतिहास ग्रंथ हैं – सुधाकर अदीब

सुधाकर अदीब हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार हैं। भारतीय पौराणिक एवं महाकाव्यात्मक इतिहास पर किए गए अपने औपन्यासिक लेखन से उनकी विशेष पहचान है। इसके अलावा सरदार पटेल पर उन्होंने ‘कथा विराट’ नामक उपन्यास की रचना की है, जिसके लिए हाल ही में उन्हें कथा...

स्मृति-शेष : हमारे इस युग की विरासत को आनेवाली पीढ़ियां वरदान मानेंगी – कैलाश बुधवार

ब्रिटेन के हिन्दी जगत के वरिष्ठतम हस्ताक्षर श्री कैलाश बुधवार का 11 जुलाई की सुबह लंदन में निधन हो गया। कैलाश जी पिछले कुछ अर्से से Psoriasis of Skin की बीमारी से जूझ रहे थे। कैलाश जी हमारी संस्था कथा यू.के. के अध्यक्ष थे।...

वो किताब लिखें जो पेड़ से ज्यादा महत्वपूर्ण हो – सत्य व्यास

समकालीन परिदृश्य में सत्य व्यास लेखकों की वर्तमान पीढ़ी और नई वाली हिंदी के सशक्त हस्ताक्षर हैं। बीएचयू से लॉ ग्रेजुएट सत्य व्यास का 2015 में जब ‘बनारस टॉकीज’ नाम से पहला उपन्यास आया, तो हिंदी कथा साहित्य के धरातल पर उनके लिखे-कहे की...