अलविदा अपराजिता…!

दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में हिंदी की एसोसिएट प्रोफेसर और हिंदी में 'हिमोजी' को जन्म देने वालीं अपराजिता शर्मा का शुक्रवार को हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया। उनका बनाया हिमोजी एप बहुत चर्चित हुआ था। दरअसल, इमोजी तो सिर्फ भावनाओं का संचार...

संपादकीय – मशीनों के दौर में मानव पुस्तकालय

आज विश्व भर में हर संस्था मानव को हटा कर मशीन का उपयोग कर रही है। रेलवे में टिकटें मशीन बेच रही है; बैंक में सारा काम मशीनों के हवाले किया जा रहा है ; सुपर मार्केट में भी मशीनें ग्राहक की सेवा कर...

वरिष्ठ लेखिका चित्रा मुद्गल से युवा लेखक पीयूष द्विवेदी की बातचीत

भारतीय साहित्य में चित्रा मुद्गल के नाम को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। आवां, नाला सोपारा जैसी कृतियाँ आज आपकी पहचान बन चुकी हैं। पिछले ही साल ‘नाला सोपारा’ के लिए साहित्य अकादमी से सम्मानित चित्रा मुद्गल बीते लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र...

संपादकीय – गाय को लिपटाना भी एक इलाज है

यदि भारत में कहीं कोई गाय के बारे में बात करता है तो उस पर हिंदुत्व, संघी और न जाने कौन-कौन से  आरोप लगाए जा सकते हैं। मगर जो बात ब्रह्मर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र हज़ारों साल पहले समझ गए थे, पश्चिमी सभ्यता को आज...

संपादकीय – दिलीप कुमार मरा नहीं करते…!

दिलीप कुमार के समकालीन अभिनेताओं में से यदि देव आनंद, राज कपूर, राज कुमार, बलराज साहनी और शम्मी कपूर को छोड़ दिया जाए तो उनके बाद के तमाम अभिनेताओं में थोड़ा बहुत दिलीप कुमार दिखाई भी दे जाता है और सुनाई भी। हृषिकेश मुखर्जी की...

संपादकीय – दि कश्मीर फ़ाइल्स… कितनी हकीकत, कितना सिनेमा

मगर जहां तक कृष्णा की अंतिम स्पीच का प्रश्न है, मुझे पूरे साहित्य और सिनेमा में केवल एक ही और ऐसी स्पीच याद आती है जिसने सुनने वालों की पूरी मानसिकता को बदल दिया हो। शेक्स्पीयर के नाटक जूलियस सीज़र में मार्क एंटनी की...