दिलीप कुमार का व्यंग्य : मीटू बनाम शीटू
दिलीप कुमार
रात को दो बजे कमरे में कर्कश ध्वनि हुई तो मैं झुंझलाकर उठा।पत्नी अभी-अभी यूट्यूब देखकर सोई थी क्योंकि मेरा फोन उसके हाथ में अटका पड़ा था ।फोन उठाया तो दूसरी तरफ शादाब मियां थे ।पत्नी के मोबाइल पर शादाब की कॉल...
परवेश जैन का व्यंग्य – श्रीमती जी का आलू प्रेम
हमारी श्रीमती जी एक कुशल गृहणी है। वह हमारी हर सुख - सुविधा का पूरा - पूरा ख़्याल रखती हैl सुबह के नाश्ते से लेकर रात्रि के भोजन तक, हमारी पसंद का मेन्यू पूछा जाता है, हम भी स्वाद के कल्पनालोक में अपनी जीभ...
अर्चना चतुर्वेदी की चुटकी – व्यंग्य का उद्धार
व्यंग्य बेचारा अच्छे दिनों की आस में दम तोड़ रहा है । पूरे साहित्य में व्यंग्य ही तो है जिसने हर बुराई पर मुखर हो अपनी बात कही, वही तो है जिसने नेता अभिनेता किसी को नहीं छोड़ा.. हर गलत बात पर अपनी आवाज...
हरिहर झा का व्यंग्य – वर्णसंकर साहित्य
कोई पूछे कि कि हिदी-साहित्य को फलने-फूलने के लिये क्या चाहिये? तो मैं कहूँगा - साहित्य में प्रगति होने के लिये गुटबंदी होना आवश्यक है। बिना गुटबंदी के साहित्य में निखार नहीं आता। देखिये, तुलसी, सूर, मीरा समकालिन थे, पर आपस में कोई गुटबंदी...
अर्चना चतुर्वेदी की चुटकी – मोबाईल बनाम चुगलखोर चाची
चुगली यानी वो कला जो सदियों से चली आ रही है | मानवजाति के विस्तार के साथ ही ये कला विकसित होती गयी ..महाभारत काल में शकुनी तो रामायण काल में मंथरा ने चुगली के विकास में अहम भूमिका निभाई | उसके बाद कभी ...
अर्चना चतुर्वेदी की चुटकी – साहित्य की सोन पापड़ी
सोन पापड़ी हमारे देश की सबसे नामी गिरामी मिठाई है,यही वो मिठाई है जिस पर सबसे ज्यादा मीम बनते हैं। दीवाली आते ही हर तरफ इसके चर्चे शुरू हो जाते हैं। नाम सब जानते हैं पर इसके भाग्य में इस हाथ से उस हाथ...