साहित्य का प्राण हमेशा देश की संस्कृति से जुड़ा होता है – केशरी नाथ त्रिपाठी

अधिवक्ता एवं  कानूनविद, उ. प्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और मंत्री- पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भाजपा के वरिष्ठ नेता पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी नहीं रहे। पंडित जी का  कार्य क्षेत्र हमेशा न्याय, राजनीति, साहित्य, समाजसेवा, संस्कृति तथा शिक्षा रहा। वे सामासिक संस्कृति की साकार...

विद्या राजपूत से डॉ. फ़ीरोज़ अहमद की बातचीत – ‘…आखिर मैं भी इक इंसान ही हूँ’

विद्या राजपूत एक ट्रांसवुमेन हैं। ‘मितवा’ समिति के माध्यम से उन्होंने एलजीबीटी और विशेष रूप से ट्रांसजेंडर्स के लिए अनेक सामाजिक व शैक्षिक कार्य सम्पन्न किए हैं। पुरुष तन में जन्म लेकर एक ट्रांसवुमेन के रूप में समाज के सामने आने तक की अपनी...

प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो : संजना

नीरज साइमन जेम्स से संजना साइमन तक की यात्रा करने वाली ट्रांसजेंडर वुमेन संजना की संघर्ष यात्रा आज के समय की महत्त्वपूर्ण घटना है। वर्तमान में जब नीरज पूरी तरह से संजना में परिवर्तित हो चुकी हैं और संजना के रूप में अपनी आगे...

लेखक अपने आप को सीमाओं में नहीं बांधता – रामदरश मिश्र

डॉ रामदरश मिश्र जी एक ऐसे  लेखक हैं जो कभी विवादों में नहीं रहे। सतत लिखते रहे। लगभग ६० वर्षों से अधिक लेखन करने के बाद भी उनमे एक बच्चे की भांति जिजीविषा है। उन्होंने अपने लेखन के लम्बे कालक्रम में अनेक बदलाव देखे।...

अकेला ही चला था…! : डॉ. फ़ीरोज़

‘वाङ्मय’ पत्रिका के सम्पादक डॉ. एम. फ़ीरोज़ खान एक चर्चित सम्पादक हैं। आप हाशिए के समाज के लिए सदैव तत्पर रहे हैं तथा उन लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए साहित्य के माध्यम से पुरज़ोर कोशिश भी कर रहे हैं। आपने किन्नर विमर्श,...

राजस्थानी सिनेमा के इतिहास के प्रथम योद्धा होंगे हम – पंकज सिंह तंवर

राजस्थान के सिनेमा के इतिहास में जो लम्बे समय से सूखा सा पड़ा हुआ था उसमें अब पिछले तीन-चार सालों से फिर सिनेमाई फूल खिलने लगे हैं। अब तेजी से विकास की ओर बढ़ने के साथ ही तेजी से फ़िल्में रिलीज़ करने जा रहे...