वन्दना यादव के लेख ‘दीपावली पर कोई घर नहीं आया!’ पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

पुरवाई में 7 नवंबर 2021 को प्रकाशित वन्दना यादव के लेख – दीपावली पर कोई घर नहीं आया! - पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं –  01 R N Yadav, Very nice article on present culture growing in society. Social media in playing vital role in developing such kind...

2 जनवरी, 2022 को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

2 जनवरी, 2022 को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय 'कोरोना कन्फ्यूजिया रहा है' पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं मीना गोदरे सच कहा सर,करोना कंफ्यूजिया रहा है। होटलों में मास्क लगाकर जाते हैं पर खाते समय वह मुंह नाक से प्रवेश नहीं करता,और भीड़...

पुरवाई के संपादकीय ‘तबस्सुम यानी कि किरण बाला सचदेव नहीं रहीं’ पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

पुरवाई के संपादकीय 'तबस्सुम यानी कि किरण बाला सचदेव नहीं रहीं' पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं तरुण कुमार जिस किसी ने भी तबस्सुम को रेडियो पर या tv पर देखा सुना है , वह उनकी दमदार और खनकती हुई आवाज़ कभी नहीं...

पुरवाई के संपादकीय पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

13 नवम्बर, 2022 को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं उषा साहू इस रविवार के संपादकीय में आपने खबरों की खबर ली है। अति उत्तम। एक हद तक, ये सारा का सारा मसला, मीडिया का बनाया हुआ है, जिसमें उन्होने...

पुरवाई के संपादकीय ‘रूस यूक्रेन युद्ध का हल क्या है ?’ पर प्राप्त पाठकीय टिप्पणियां

8 जनवरी, 2023 को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय 'रूस यूक्रेन युद्ध का हल क्या है ?' पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त टिप्पणियां शैलजा सक्सेना, कनाडा बहुत अच्छा संपादकीय तेजेन्द्र जी! आपने इस युद्ध के मूल कारणों, इतिहास और भविष्य सभी के बारे में बहुत...

पुरवाई के 14 नवंबर 2021 के संपादकीय पर पाठकीय प्रतिक्रियाएं

14 नवंबर 2021 के संपादकीय ‘राजनीति के हमाम में सब...’ पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं - उषा साहू, मुंबई  नमस्कार तेजेन्द्र जी। 14 नवम्वर 2021 अंक का संपादकीय पढ़ा। हमेशा की तरह सच्चाई और स्पष्टता से भरा हुआ। सादर अभिनंदन... यह महाराष्ट्र...