श्यामल बिहारी महतो की कहानी – तबादले के बाद

अभी अभी खबर मिली है कि लालजी साहू ने सम्प एरिया में काम ज्वाइंन कर लिया है । सुनकर मुझे विश्वास नहीं हुआ !  सम्प  एरिया में काम  और लालजी साहू  !नेवर-कभी नहीं ! वो ऐसी जगह न कभी काम किया है न करेगा-कर ही...

अरूणा सब्बरवाल की कहानी – कहा-अनकहा

अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था ।दोपहर के बारह बजने वाले थे ।घड़ी  की सुई अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ती जा रही थी । उसका तो नामोनिशान नहीं था ।ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ ।वह तो सदा एक घंटा पहले ही...

पल्लवी विनोद की कहानी – विनिमय

मैं उस घर से आती आवाजों का आदी होता जा रहा था। धीमे से तेज होती आवाजें फिर धीमी होती आवाज ...ध्वनियों के साथ आती बातों द्वारा मैं उनकी कहानी के हर मोड़ को पहचानने लगा था। उस घर में कुल पांच लोग रहते...

प्रदीप श्रीवास्तव की कहानी – स्याह उजाले के धवल प्रेत

पोस्ट-ग्रेजुएट राज-मिस्त्री वासुदेव को समाचार शब्द से ही घृणा है। वह टीवी, रेडियो, अख़बार कहीं भी समाचार देख सुन नहीं सकता, नाम लेते ही आग-बबूला हो जाता है। कहता है, “यह सब समाचार कम बताते हैं, बात का बतंगड़ बना कर तमाशा-ही-तमाशा करते हैं,...

दीपक शर्मा की कहानी – मीठापुर की महारानी

‘हर्षा देवी नहीं रहीं’ कस्बापुर की मेरी एक पुरानी परिचिता की इस सूचना ने असामान्य रूप से मुझे आज आन्दोलित कर दिया है। हर्षा देवी से मैं केवल एक ही बार मिली थी किन्तु विचित्र उनके छद्मावरण ने उन्हें मेरी स्मृति में स्थायी रूप से...

डॉ. कनक लता तिवारी की कहानी – प्रत्यावर्तन

6 अप्रैल 1985 ‘‘सोरुप कोथाय आछो बाबा?’’ माँ का स्वर हवा .में तैरते हुए स्वरुप के कानों में जा पहुंचा। स्वरुप मगन होकर उस समय माँ की लिपिस्टक से अपने होंठ रंग चुका था और माथे पर बिंदी लगा चुका था। आवाज सुनते ही उसने...