अरूणा सब्बरवाल की कहानी – आख़िरी धागा

रात भर किन- मिन , किन-मिन ,बारिश ने उसे पल भर भी सोने नहीं दिया...सुबह हो चुकी थी l बाहर अभी भी अँधेरा था…उसने नींद में ही बजते अलार्म को बन्द किया...मन ही मन में बुदबुदायीं पाँच मिनट और  कह कर रज़ाई में दुबक...

सतीश कुमार सिंह की कहानी – माँ

अनिल, अमन और अनुज, तीनों भाईओं की उम्र 50 साल से ऊपर हो गई थी, फिर भी, उनके बीच बेइंतिहा प्यार था। हालांकि, जब वे छोटे थे तभी उनके पिताजी का इंतकाल हो गया था। उस समय छोटा भाई अनुज आठवीं कक्षा में पढ़ता...

अनिता रश्मि की कहानी – बंद दरवाजे के पार

उस घर के बंद दरवाजे की ओर ताकते हुए वह अक्सर सोचता, 'कभी कोई फेंस के पास, खिड़कियों के पार या बरामदे में दिखलाई क्यों नहीं देता?' बेटा रौनक भी प्रायः पूछता, "पापा! उनके घर के दरवाजे हमेशा बंद क्यों रहते हैं?" शाम को इस घर...

मो. इसरार की कहानी – शिकार

वह लम्बे-लम्बे कदम रखता हुआ ‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन’ की ओर बढ़ रहा था। उसकी चाल देखने से लग रहा था, वह बहुत जल्दी में है। लगभग दौड़ने जैसी चाल चलने से वह कुछ-कुछ हाँफ भी रहा था। इतनी भाग-दौड़ करते हुए, स्टेशन पर पहुँचते...

रोचिका अरुण शर्मा – दिन-दिन बढ़ती काली घास

“लॉन हरा-भरा दिखता तो बहुत सुन्दर है किन्तु क्या करें जब घास की कटाई- छंटाई न हो तो जंगल सा दिखने लगता है | कई बार तो बारिश के मौसम में साँप भी इसमें अपना निवास बना लिया करते हैं |” कनु  अपने घर...

अरुणा सब्बरवाल की कहानी – उडारी

“आई काँट  बिलीव दिस “ “ओ माई गॉड .... थैंक्यू...थैंकयू ...” वह  हतप्रत थी ।घटनाक्रम को समझ नहीं पा रही थी ।शब्द किसी तारतम्य से जैसे बहे जा रहे जा रहे थे । वह ख़ुशी को रोक नहीं पा रही थी ,पर सवाल यह था की ख़ुशी...