डॉ यासमीन मूमल की ग़ज़ल

1212 /1122/ 1212/22/ मुफ़ाइलुन/फ़इलातुन/मुफ़ाइलुन/फ़ेलुन/ ग़मे'हयात में मुस्कान बन के आए हो।। ख़िज़ां के दौर में रंगे'बहार लाए हो।। न शर्मसार किये हो न आज़माए हो। ग़ुरूर ये है फ़क़त दिल से दिल लगाए हो।। हज़ारों रंग के ख़्वाबों के हैं लगे मेले। मेरी निगाह में जबसे हुज़ूर आए हो।। मेरे नसीब से...

डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – प्यास बैठी है पास पानी के

रंग सारे उदास पानी के, बस रहें आस-पास पानी के। ओक भी है उदास औ' लब भी, प्यास बैठी है पास पानी के। आँख छलकी हुयी हैं औ दिल भी, हमसे रिश्ते हैं खास पानी के। तेरा साया सदा निकलता है, यूँ पहन कर लिबास पानी के। आज पानी की है कमी...

चार ग़ज़लें – नीरज गोस्वामी

नीरज गोस्वामी हिन्दी ग़ज़ल की गंगा-जमुनी रिवायत के महत्वपूर्ण ग़ज़लकार हैं। पहली बार उन्होंने हमारे आग्रह पर पुरवाई के लिये अपनी ग़ज़लें भेजी हैं। पुरवाई के पाठकों के लिये विशेष सामग्री है.... (संपादक) ग़ज़लें – नीरज गोस्वामी 1. ख़ुशी आँख मेरी छुपाती नहीं है नुमाइश वो ग़म की...

फ़िरदौस ख़ान की ग़ज़ल

जूड़े में फूल आंखों में काजल नहीं रहा मुझसा कोई भी आपका पागल नहीं रहा ताज़ा हवाओं ने मेरी ज़ुल्फ़ें तराश दीं शानों पे झूमता था वो बादल नहीं रहा मुट्ठी में क़ैद करने को जुगनू कहां से लाऊं नज़दीक-ओ-दूर कोई भी जंगल नहीं रहा दीमक ने चुपके-चुपके वो अल्बम...

निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल

वतन का खाकर जवाँ हुए हैं वतन की खातिर कटेगी गर्दन। है कर्ज हम पर वतन का जितना अदा करेंगे लुटा के जाँ तन।। हर एक क़तरा निचोड़ डालो  बदल दो रंगत वतन की यारो। जहाँ  गिरेगा   लहू   हमारा   वहीं   उगेगा   हसीन  गुलशन।। सभी ने हम पर किए...

आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था

जिससे दामन बहुत बचाया था साथ उस ग़म ने ही निभाया था राज़ वह क्या करोगे तुम सुनकर दिल ने जो बारहा छुपाया था जिन्दगी इक भरम में गुज़री है साथ तू था न तेरा साया था मैं इबादत से बहल जाती हूँ यह नियम उम्र भर निभाया था सर को सजदे...