डॉ. यासमीन मूमल का गीत – उड़ जाए चुनरिया भी सर से
मिल जाये गली में वो हरदम, जब निकलूं मैं अपने घर से,
दिल में आंधी सी उठती है, उड़ जाए चुनरिया भी सर से।
मैं बूंद स्वाति की उसे लगूं
वो जब ख़ुद को चातक माने
हम प्रणय नीड़ के पंछी हैं
यह बात सकल जग अब जाने
जब जब...
तीन ग़ज़लें – प्रदीप कान्त
ग़ज़लें - प्रदीप कान्त
1
अच्छे अच्छे संभल न पाए
दोष समय ने जब गिनवाए
रिश्ते ऐसे निभते हैं क्या
उससे कहिये आए जाए
तुमने अगर ग़लत पूछी है
कौन पहेली फिर सुलझाए
उससे तो बेहतर है चुप्पी
बोल अगर जो व्यर्थ में जाए
कैसा ये क़िरदार अजब सा
आग लगा कर आग बुझाए
2
तब ही...
अल्पना सुहासिनी की दो ग़ज़लें
1
जब भी होता है जहाँ होता है,
इश्क़ इबादत का बयां होता है।
इश्क़ में शर्त नहीं होती है,
इश्क़ शर्तों पे कहाँ होता है।
बहता नस-नस में लहू के जैसा,
रूह तक में भी रवाँ होता है।
है ज़रूरत ही कहाँ लफ़्ज़ों की,
इश्क़ आँखों से बयाँ होता है।
ज़र्रे ज़र्रे...
ग़ज़लें – भारतेन्दु विमल
भारतेन्दु विमल –
ग़ज़लें
1.
आज हम उन को नई पहचान देंगे,
संगेमरमर में ज़रा सी जान देंगे.
एक अर्सा हो गया ख़ामोश है तू,
ऐ समुंदर हम तुझे तूफ़ान देंगे.
हर नदी के इम्तिहां के वास्ते हम,
सर पटकने के लिए चट्टान देंगे.
क़ैद में दम तोड़ती अंगड़ाइयों को,
हम रिहाई का नया...
अखिल भण्डारी की ग़ज़लें – ‘जिस तरफ़ जाता नहीं कोई उधर जाना है’
1 - गुफ़्तुगू में कुछ न कुछ तो अन-कहा रह जाएगा
गुफ़्तुगू में कुछ न कुछ तो अन-कहा रह जाएगा
उस से मिल कर भी मुझे शायद गिला रह जाएगा
वो चला जाएगा उस के बाद क्या रह जाएगा
सिर्फ़ यादों का मुसलसल सिलसिला रह जाएगा
उस की बातें...
ग़ज़लें – शिव नारायण
डॉ. शिवनारायण की 4 ग़ज़लें
ग़ज़ल (१)
तुम्हारी याद में जो जिन्दगी है
जिधर देखो उधर ही बेबसी है
अंधेरा क्या डराएगा हमें अब
ख्यालों में हमारे रोशनी है
दुखाया है किसी ने दिल तुम्हारा
तुम्हारी आंख में कैसी नमी है
वफादारी भी हमने सीख ली है
नहीं कोई शरीफों की कमी है
तुम्हें...