मनवीन कौर की लघुकथा – डोसा

शालू बाई रोटी बना रही थी । दरवाज़े पर आवाज़ आयी “नीता क्या कर रही हो “ “लो अम्मा जी फिर आ गईं एक नई कहानी के साथ ।” शालू हंसते हुए बोली । नीता ने दरवाज़ा खोलते हुए कहा ,” आओ अम्मा जी कैसे हो...

प्रो. पुनीत बिसारिया की लघुकथाएँ

(1) - पेनड्राइव वह कमाऊ ऑफिस में नया-नया आया था और बात-बात पर सच्चाई, ईमानदारी और कर्तव्य पालन की बातें करता था। वह न खुद खाता था, न किसी कर्मचारी को खाने देता था। उसकी इस गुस्ताखी के कारण ऑफिस के कर्मचारी उससे त्रस्त आ...

डॉ. पद्मावती की लघुकथा – रेट

‘हल्की गुनगुनी धूप में चाय की चुस्की... मजा आ गया भाई’ ।  “हाँ जी हाँ , जब से अनिरुद्ध ने अमेरिका ले जाने की बात कही है तब से  तो आपको हर बात में रस आने लगा है …है न ? । सुषमा जी ने...

जिज्ञासा सिंह की तीन लघुकथाएँ

1 - जीवन दर्शन बैसाख की फ़सल घर में सुरक्षित रखने के बाद दूजी मुखिया फिर अपने गाँव के मजदूरों को लेकर कमाई करने शहर पहुँचे और बिल्डिंग के प्रांगण में डेरा डाल दिया, दिन भर मज़दूरी और शाम को अपना-अपना चूल्हा, अपना-अपना ख़ाना। दूजी...

डॉ. पद्मावती की लघुकथाएँ

1 - उड़न खटोला  ईरज हर दिन उससे एक ग़ुब्बारा ख़रीदता था और वह गुब्बारेवाली हर शाम उसकी प्रतीक्षा करती थी । दरअसल दोनों के लिए यह दैनंदिन अनिवार्यता बन चुकी थी ।  दिन पूरा  शाम ढ़लने की प्रतीक्षा में बीतता  और शाम होते जब पंछी...

जय शेखर की दो लघुकथाएँ

प्रेम  वह आज पूरे 5 दिन कर घर लौटा था । उसे देखते ही परिवार के सभी सदस्यों में जैसे जान आ गई थी। वह जब से खोया था तब से सबकी भूख प्यास भी खो गई थी। उसके आंगन में आते ही उसके लिए उसकी...