थर्ड जेंडर – अतीत और वर्तमान : विमर्श की विचारपरक आलोचना

पुस्तक: थर्ड जेंडर: अतीत और वर्तमान (भाग 1-2-3) संपादक: डॉ. एम फी़रोज़ ख़ान प्रकाशक: विकास प्रकाशन, कानपुर समीक्षक डॉ. नितिन सेठी आलोचना किसी भी कृतित्व के गुण-दोषों का सम्यक् निर्धारण करती है। किसी भी सम्प्रत्यय, वाद या सिद्धांत के पीछे लोकमंगल की स्थापना की भावना ही मुख्य हुआ...

डॉ नितिन सेठी की कलम से – ‘वाङ्मय’ पत्रिका का आदिवासी उपन्यासों पर केन्द्रित अंक

पत्रिका: वाङ्गमय(त्रैमासिक)  अंक: अप्रैल-सितंबर 2022  संपादक: डॉ. एम फ़ीरोज़ अहमद पृष्ठ: 248  मूल्य: रु. 175 ‘वाङ्गमय' पत्रिका का अप्रैल-सितंबर 2022 अंक सन् 2014 से 2022 तक की समयावधि में प्रकाशित उपन्यासों पर आधारित समीक्षात्मक आलेखों का प्रस्तुतीकरण करता है। ज्ञातव्य है कि ये सभी उपन्यास आदिवासी विमर्श पर आधारित...

डॉ.विभा सिंह द्वारा शरण कुमार लिम्बाले की पुस्तक ‘अक्करमाशी’ की समीक्षा

समीक्ष्य पुस्तक शरण कुमार लिम्बाले द्वारा मराठी में लिखी गई उनकी आत्मकथा का हिंदी रूपांतर है, जिसके अनुवादक हैं-- सुर्यनारायण रणसुभे।हिंदी के अलावा तमिल,कन्नड़,पंजाबी,गुजराती,मलयालम में तो इसका अनुवाद हुआ ही ,इसके साथ ही अंग्रेजी में 'the outcast, नाम से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने इसका...

राकेश शंकर भारती द्वारा निर्मला भुराड़िया के उपन्यास ‘गुलाम मंडी’ की समीक्षा

इस बार के विश्व पुस्तक मेले में जब अपनी किताबें, इस ज़िंदगी के उस पार (किन्नर विमर्श पर पहला मौलिक कहानी संग्रह) और कोठा नं. 64 (जी. बी. रोड और दिल्ली के सेक्स वर्कर्स पर आधारित कहानी संग्रह) के प्रचार-प्रसार के सिलसिले में अपने...

पुस्तक समीक्षा : श्रापित किन्नर उपन्यास में किन्नर संघर्ष की अभिव्यक्ति

"श्रापित किन्नर उपन्यास में किन्नरों को अपने श्रापित होने का दंश झेलना पड़ता है। यही श्रापित का दंश उन्हें समाज से लड़ने को प्रेरित करता है। उसमे अकरम (पुरुष) सहायता करता है। नरगिस , हिना और जावेद तीनो " मैं भी इंसान हूँ "...

ब्रिटेन की प्रतिनिधि हिंदी कहानियाँ : संपादक जय वर्मा

लंदन के नेहरू केंद्र के सभागार में 18 मई को जय वर्मा द्वारा सम्पादित ‘ब्रिटेन की प्रतिनिधि कहानियाँ’ का लोकार्पण समारोह लंदन और नॉटिंघम के हिंदी साहित्यकारों की उपस्थिति में नेहरू केंद्र के निदेशक एवं प्रख्यात अंग्रेज़ी उपन्यासकार श्री अमीश त्रिपाठी जी द्वारा सम्पन्न...