तेजस पूनियां का लेख – समाज और सिनेमा में पर्यावरण

साल 1880 के बाद से 21 वीं सदी के प्रत्येक साल को सबसे गर्म सालों की सूची में 14 वें पायदान पर रखा गया है। साल 2000 से 2004 के बीच हुए सर्वे के अनुसार अलास्का, पश्चिमी कनाडा, रूस में औसत तापमान वैश्विक औसत...

हिंदी में एक नया प्रयोग साइंस फिक्शन ‘3020 ई.’ से

एक हजार वर्ष बाद हमारी स्थिति क्या होगी? हमारा जीवन कैसा होगा? नदी-पेड़-तालाब का साथ मिल पायेगा या नहीं? कैसी होगी हमारी प्यारी धरती? कैसे होंगे धरा के लोग? ऐसी कल्पना से ही मन रोमांच से भर उठता है। मन यह जानने को बेचैन...

पुरवाई के संपादकीय ‘किसान आन्दोलन : कितने सच कितने झूठ’ पर कुछ पाठकीय प्रतिक्रियाएं

31 जनवरी 2021 को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय 'किसान आन्दोलन : कितने सच कितने झूठ' पर संदेश के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं। डॉ. तारा सिंह अंशुल अभी कुछ समय पूर्व पुरवाई पत्रिका की संपादकीय शीर्षक " किसान आंदोलन : कितने सच कितने झूठ " पढ़ा, यह शीर्षक...

डॉ. तारा सिंह अंशुल की कहानी ‘बैरक’ पर पाठकीय प्रतिक्रिया

उषा साहू, यूके 24 जनवरी  की पुरवाई में प्रकाशित, डॉक्टर तारा सिंह अंशुल की कहानी "महिला बैरक" पढी । दिल को हिला कर रख गई । महिला  सचमुच सिर्फ एक महिला ही है  । उसे हर कदम पर हलाहल पीना ही है । डॉ तारा ...

पाठकों का पन्ना : पुरवाई के संपादकीय (3 जनवरी, 2021) पर कुछ पाठकीय प्रतिक्रियाएं

दिनांक 3 जनवरी 2021 को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय 'सात महीने से चीन में फंसे हैं भारतीय नाविक' पर संदेश के माध्यम से प्राप्त तीन पाठकीय प्रतिक्रियाएं। प्रो. सविता सिंह, पुणे बहुत गंभीर प्रश्न उठाया है आपने संपादकीय में। मुझे भी अनुभव है सुषमा स्वराज...

पाठकों का पन्ना : पुरवाई के संपादकीय पर कुछ पाठकीय प्रतिक्रियाएं

इस सप्ताह से हम पुरवाई पर 'पाठकों का पन्ना' नाम से एक स्तम्भ आरम्भ कर रहे हैं। इस पन्ने पर हमें ईमेल व संदेश के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाओं को जगह दी जाएगी। इस सप्ताह पुरवाई के संपादकीय आलेख 'भगवान सोनू सूद की...