“फिल्म बनाने और अच्छी फिल्म बनाने में जमीन आसमान का फर्क होता है”

हरियाणा का अब तक का एकमात्र ओटीटी प्लेटफार्म स्टेज एप्प हरियाणा सिनेमा से बाहर निकल कर अब राजस्थानी सिनेमा को बढ़ावा देने तथा उसे सहारा देने के लिए उतरा है। इस बार राजस्थानी सिनेमा के इतिहास में वेब सीरीज का एक के बाद एक...

देवी नागरानी का संस्मरण – मैं भी कुछ लिखूं : इच्छा पूर्ति का पहला कदम

हर किसी को किसी भी परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए एक कठिन परिश्रम के दौर से गुज़रते हुए कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. मैंने भी ठीक उसी तरह खुद को मुकम्मल सिंधी बनाने के लिए अपनी मातृभाषा सिंधी सीखने के लिए...

पद्मा मिश्रा की लघुकथा – महानता

शिखा पूरी कक्षा के सामने हैरान परेशान सी खड़ी थी, वह समझ नहीं पा  रही थी कि आज सुधा  मैडम को हुआ क्या है ?--रोज की तरह उसकी तारीफ करने की बजाय वह इतना नाराज क्यों हो उठीं ?-- कक्षा में कवि  रत्नाकर के पद सुधा मैडम पढ़ा रही थीं-- यह...

डॉ मुक्ति शर्मा की कविता – जाने क्या है…!

जाने क्या है? खलिश है खला है जाने क्या है ये कुछ मुझ में प्रज्वलित है जाने क्या है...। आंखों से दिल का हाल बयां हुआ है होंठ क्यों सिले हैं जाने क्या है। अभी तक कोलाहल में तल्लीन है यह कंपन यही बस तरतीब है जाने क्या है। दुनिया की परवाह ना...

पुरवाई के 07 नवंबर 2021 के संपादकीय पर पाठकीय प्रतिक्रियाएं

07 नवंबर 2021 के संपादकीय ‘ भ्रम भंग होते ही हैं...’ पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं - शन्नो अग्रवाल, लंदन बहुत बढ़िया और सटीक संपादकीय लिखा है आपने, तेजेन्द्र जी। आज जो भी दिखता या लगता है  वह इमेज किसी वजह से भविष्य...

निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल

बात  सच्ची  कहो  पर  अधूरी   नहीं। लोग   माने  न   माने   ज़रूरी   नहीं।। आज जो  है  जहाँ  कल  रहेगा वहाँ। जानकारी  किसी  को  ये  पूरी  नहीं।। जिनको नफ़रत थी हमसे जुदा हो गए। दूर  रह  कर  भी  उनसे  है  दूरी  नहीं।। दोस्ती दिल से की दुश्मनी खुल के की। साफ दिल  हूँ ...