डॉ. रूबी भूषण की ग़ज़ल
बात अब मुख्तसर सी है शायद
उनकी बदली नज़र सी है शायद
मेरा साया नज़र नही आता
रौशनी बे ख़बर सी है शायद
आप कहते नही हैं अब आमीन
हर दुआ बे असर सी है शायद
जलती बुझती है याद आंखों में
जगनुओं के सफ़र सी है शायद
कब मुलाक़ात आप से...
निवेदिताश्री के तीन गीत
1 - आँख का पानी
ताल तलैया सूख गए हैं
मरा आँख का पानी
दुनियादारी कहाँ बची है
जनता बहरी-कानी
चिड़िया छोड़ घोसले भागी
भागी बरखा रानी
प्यासी मछली तड़प रही है
गढ़ती नई कहानी
अपना दुखड़ा किसे सुनाये
कुढ़ती बिटिया रानी
जरा जरा सी बातों पर हैं
तिल का ताड़ बनाते
मौका पाते चोंच पिजाते
और बाज...
नीलम वर्मा की ग़ज़ल
अब हवा आशिक़ी की ये चलने लगी
तो शम्म-ए-मोहब्बत मचलने लगी
चाँदनी की कसक जाने शबनम फ़क़त
क़तरा क़तरा जो अश्कों में ढलने लगी
रौशनी के परिंदे उतर आए हैं
हर कली पैरहन अब बदलने लगी
है तपिश उसकी आहों में बाकी अभी
बर्फ सी मेरी हसरत पिघलने लगी
एक रंगीं फ़साना...
दीपक नगायच ‘रोशन’ की दो ग़ज़लें
1
आइए, बैठिए, तब्सिरा कीजिए
फिर बयां कुछ मेरे दर्द का कीजिए
एक दिन ऐसा कुछ मोजिज़ा कीजिए
मेरी ख़ातिर कभी तो दुआ कीजिए
अच्छी होती नहीं इतनी ख़ामोशियां
कुछ कहा कीजिए कुछ सुना कीजिए
जैसी भी है निभानी पड़ेगी हमें
ज़िन्दगी से न शक्वा-गिला कीजिए
जिस तरह मैंने हद तोड़ दी इश्क़...
पुरवाई की विशेष प्रस्तुति : ब्रिटेन में हिंदी ग़ज़ल
मित्रो, ब्रिटेन में सोहन राही, प्राण शर्मा, गौतम सचदेव और नीना पॉल के निधन के बाद हिन्दी ग़ज़ल में जैसे एक ऐसा रिक्त स्थान पैदा हो गया था जिसे भर पाना आसान नहीं है। वैसे तो परवेज़ मुज़्ज़फ़र, अजय त्रिपाठी, कृष्ण कन्हैया ब्रिटेन में...
नीलम वर्मा की ग़ज़ल
हर्फ-ए-रोशनाई की, अब कसम उठा लो तुम
इश्क़ के फसाने को, मिटने से बचा लो तुम
साज़ दिल का है खामोश , महफ़िलें हैं बेरंग सी
शम्आ रह गई तन्हा, सोज-ए-शब संभालो तुम
साकी के कदम दोनों, डगमगा रहे हैं अब
ज़हर से भरा ये जाम, लब से अब...