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शिक्षक से संवाद : देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम हिंदी कर रही है – प्रो. आनंद वर्धन शर्मा
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डॉ. मधु संधु का लेख – लिव-इन – सम्बन्धों का नया समीकरण (प्रवासी महिला उपन्यासकारों के संदर्भ में)
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डॉ. कमलेश कुमार यादव की कलम से – उत्कृष्ट सर्जनाशक्ति की मिसाल रेडियो रूपक ‘मन की बात, जन-जन की बात’
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डॉ विशाला शर्मा की समीक्षा – कहानी ब्रिटिश सैन्य अधिकारी के प्रेम और जज़्बात की : रॉबर्ट गिल की पारो
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शिक्षक से संवाद : देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम हिंदी कर रही है – प्रो. आनंद वर्धन शर्मा
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शिक्षक से संवाद : देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम हिंदी कर रही है – प्रो. आनंद वर्धन शर्मा
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डॉ योजना साह जैन का व्यंग्य-लेख – डॉक्टर साहब की डिग्री या हलवा : कहानी “होनोरिया कौसा” डॉक्टरेट की
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शैलेंद्र सिंह ! भाऊ के प्रति हमारी सादर श्रद्धांजलि है! आपको पढ़कर उन्हें जान पाए,उन्हें बेहतर समझ पाए! नागपुर के जिस क्षेत्र का अपने वर्णन किया है चितारोली ,उस जगह से हम भली-भांति परिचित हैं क्योंकि हमारी एक दीदी भी वहीं रहती थीं और उनके घर का भी यही काम था मूर्ति गढ़ने का। दीदी जीजा जी तो नहीं है लेकिन उनके बेटे अब भी वहीं काम करते हैं हालांकि उसके साथ ही दूसरे अन्य कामों में भी सब लगे हुए हैं।
कभी-कभी महसूस होता है व तकलीफ भी होती है कि कलाकार हमेशा ही अभावों और तकलीफों में क्यों रहते हैं? लेकिन आपने उनके बारे में इतना विस्तार से लिखकर उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है। और दूसरे भी उनके बारे में जान पाए।
भाऊ को हमारी ओर से सादर नमन
आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।